यत्र- तत्र फेंका हुआ कूड़ा कचरा देख भले ही हम मुँह बना ले किंतु कहीं न कहीं उसको बढ़ावा देने में भी हमारा ही हाथ होता है। फेंके हुए कूड़ा को देख हम भले सरकारी व्यवस्था पर उंगली उठा के बोल दें कि प्रशासन नकारा है जो स्वच्छता पर ध्यान नहीं दे रही किंतु कभी खुद के भीतर झाँक नहीं देखेंगे कि हमने स्वच्छता में अपना कितना सहयोग दिया।
सड़कों पर चलते हुए हर तीसरी बाइक या कार में से एक शख्स ऐसा जरूर दिख जायेगा जो बड़े ही शान के साथ पान मसाला खा के सड़क चमकाता दिख जायेगा। फिर वहीं बड़ी कार वाले किसी मंच पर खड़े होकर स्वच्छता पर अपना भाषण प्रस्तुत करेंगे और सबके सहयोग की बातें करेंगे। स्वच्छता का एक छोटा कदम ही पूरे देश में स्वच्छता की शुरुआत होगी। मान लिया कि किसी एक के ऐसा न करने से देश में स्वच्छता नहीं होगी किंतु हम स्वयं से एक शुरुआत तो कर ही सकते हैं। जिस तरह हम अपने हर को अपना मान कर उसे साफ-सुथरा रखतें है। ठीक उसी प्रकार गली, सड़क और यह देश हमारा अपना है और इसकी स्वच्छता की जिम्मेदारी भी हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। सारी की सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की नहीं होती कुछ हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम उसको पूरा करने में अपना सहयोग दें और अपने देश को स्वच्छता के प्रथम पायदान पर पहुंचाए।