Kalyan Singh Jayanti: राम मंदिर के बड़े चेहरे कल्याण सिंह की आज 92वीं जयंती है। बता दें कि वह उत्तर प्रदेश राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। इतना ही नहीं उन्हें हिंदुत्व का टैग भी मिला हुआ है। आपको बता दें कि पहले वह एक इंटर कॉलेज के टीचर थे और बाद में फिर वह सीएम और राज्यपाल बने। हालांकि उनके लिए यह सफर इतना आसान भी नहीं था। कांटो से भरी थी उनकी ये डगर लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और चलते रहे। बता दें कि जब भारतीय जनता पार्टी का गठन हुए तो कल्याण सिंह को प्रदेश संगठन में पदाधिकारी बनाया गया। उन्होंने ही राम मंदिर आंदोलन में जान फूंकी। थी। बीजेपी के पार्टी उस वक्त काफी मजबूत बनी और तभी से बीजेपी की पार्टी राम भक्तों की पार्टी जानी जाने लगी। हालांकि उनका एक नारा खूब प्रसिद्ध है जो है कि ‘कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण करो।’
क्यों दिया था सीएम पद से इस्तीफा
बता दें कि कल्याण सिंह जब सीएम थे तो उस वक्त कारसेवकों ने बाबरी ढांचा गिरा दिया था। तभी तत्कालीन डीजीपी उनके आवास पहुंचे और कारसेवकों लाठी डंडो से मारने की परमिशन देदी। लेकिन कारसेवकों को रोकने में नाकाम हुए और इस पूरी घटना की जिम्मेदारी कल्याण सिंह ने ली और राम मंदिर आंदोलन के लिए अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार कुर्बान कर दी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। बाबरी विध्वंस के बाद सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मैं यूपी का सीएम था। जो हुआ, उसकी मैं पूरी तरह जिम्मेदारी लेता हूं। ढांचा गिर गया तो मैंने उसकी कीमत चुकाई। मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अभी और क्या कोई हमारी जान लेगा? राम मंदिर बनाने की खातिर एक क्या 10 बार सरकार कुर्बान करनी पड़ेगी तो करेंगे।”
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर नामा
1967, 69 व 74 में तीन बार विधायक।
1975 से 77 तक आपातकाल में मीसा बंदी।
1977 में चौथी बार विधायक, स्वास्थ्य मंत्री।
1985 में पांचवीं बार विधायक व प्रदेश अध्यक्ष।
1989 में छठवीं बार विधायक व नेता विधायक दल।
1991 में सातवीं बार विधायक, मुख्यमंत्री बने।
1993 में आठवीं बार विधायक, नेता विधायक दल।
1996 में नवमीं बार विधायक, मुख्यमंत्री-भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष।
2000-01 में राक्रांपा अध्यक्ष बने।
2004 में बुलंदशहर से भाजपा से सांसद।
2009 में एटा से निर्दल सांसद निर्वाचित।
2014 में राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए।