UP Politics : इटावा के दांदरपुर गांव में यादव कथावाचकों, मुकुट मणि यादव और संत कुमार यादव, के साथ हुई मारपीट और अपमान की घटना ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गरमा दिया है। 21 जून 2025 को भागवत कथा के दौरान कुछ ग्रामीणों ने कथावाचकों की जाति पूछी और यादव होने की बात सामने आने पर उनकी चोटी काटी, नाक रगड़वाई और कथित तौर पर शुद्धिकरण किया। इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे जातिगत अत्याचार करार देते हुए योगी सरकार पर हमला बोला। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के खिलाफ वर्चस्ववादी मानसिकता बताया और आंदोलन की चेतावनी दी।
‘समाज को बांटनेवाली घुसपैठिया राजनीति’ – अखिलेश
सपा चीफ अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा कि “भाजपा अपने सेट किये हुए ‘प्लांटेड लोगों’ के उपनाम का दुरुपयोग करके उप्र के पड़ोसी राज्यों से लोगों को लाकर, समाज को बांटनेवाली जो ‘घुसपैठिया राजनीति’ प्रदेश में कर रही है, उसका सच बच्चा-बच्चा जानता है। उप्र का समाज कुछ नकारात्मक लोगों की गलतियों से बँटेगा नहीं बल्कि और भी मजबूत होगा। आज क्या उप्र में एक भी ऐसा भाजपाई नहीं है जिस पर दिल्लीवाले भरोसा कर सकें?”
‘षडयंत्र की नई बिसात बिछा रहे’
सपा चीफ ने आगे कहा कि “शायद ऐसा ही है तभी तो वो बाहर से लोगों को लाकर षडयंत्र की नई बिसात बिछा रहे हैं। सच तो ये है कि ये लखनऊवालों के लिए एक ‘ताल ठोंकती चुनौती’ है कि उप्र को अस्थिर करने के लिए उप्र की सीमा पार से लोग बार बार अंदर आ रहे हैं और प्रदेश का अमन-चैन बिगाड़ कर आराम से वापस चले जा रहे हैं। उप्र की भाजपा सरकार क्या अब अपने प्रदेश की सीमाएं किसी भी अराजक तत्व के लिए खोल देगी।”
“भाजपा सरकार उप्र में काग़ज़ी सरकार बनकर रह गयी”
अखिलेश यादव ने आगे कहा कि “अगर ऐसा है तो उप्र की भाजपा सरकार खुलकर घोषणा कर दे या फिर उन अराजकतावादी तत्वों के ख़िलाफ़ FIR करके तुरंत अपनी पुलिस भेजकर गिरफ़्तार करवाए। अगर ये नहीं हुआ तो कल को उप्र की भाजपा सरकार को ठेंगा दिखाते हुए ऐसे और लोग भी आएंगे और उप्र की जनता मान लेगी कि भाजपा सरकार उप्र में काग़ज़ी सरकार बनकर रह गयी है, न उसके पास कोई नेतृत्व है और न ही उप्र की क़ानून -व्यवस्था और यहां कि शांति के लिए कोई प्रतिबद्धता। कुछ गिनती के प्रभुत्ववादी और वर्चस्ववादी लोगों ने तो उस कलाकार को भी नहीं छोड़ा जो अपनी थाप से दुनिया देखता है।”
पीडीए पर बोले अखिलेश यादव
अखिलेश आगे बोले कि “उसकी ढोलक छीनकर और उस पर आरोप लगाकर ऐसे नकारात्मक लोगों ने अपने ही समाज की सहानुभूति खो दी है। हमारे देश की संस्कृति के सच्चे उपासक सदैव सहृदय और करुणा से भरे होते हैं, जो लोग ऐसा करते हैं, वो मानवीय मानकों पर ख़ारिज कर दिये जाने वाले अभारतीय और अमानवीय लोग होते हैं। आज संपूर्ण पीडीए समाज ‘इटावा कथावाचन पीडीए अपमान कांड’ के हर पीड़ित के साथ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहा है। ’पीडीए’ उत्पीड़न के ख़िलाफ़ नई ढोलक की नई गूंज है। पीडीए ’पीड़ा, दुख और अपमान’ का त्रिदंश झेलने वाले परंपरागत रूप से उपेक्षित और उत्पीड़ित लोगों के बीच आई नई चेतना और एकजुटता का सामूहिक, सामाजिक, सामुदायिक ऐलान है। पीडीए प्रतिशोध की नहीं सोच के परिवर्तन की पुकार है। पीडीए ग़ैर बराबरी को दूर करके समता, समानता, गरिमा, प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करनेवाले सकारात्मक –प्रगतिशील ‘सामाजिक न्याय के राज’ का संकल्पित उद्घोष है।”
इन सबके बीच अब ब्राह्मण महासभा ने कथावाचकों पर छेड़खानी के आरोप लगाए, जिससे मामला और उलझ गया। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन दोनों पक्षों के बीच तनाव बरकरार है। ‘अहीर रेजिमेंट’ के प्रदर्शन और पुलिस पर पथराव ने स्थिति को और जटिल बना दिया। यह घटना यूपी में जातीय और राजनीतिक गोलबंदी को और तेज कर रही है।