नई दिल्ली : देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के मोदी सरकार के दावों की GDP ने पोल खोल दी है। मोदीराज में देश की विकास दर सबसे ख़राब दौर से गुजर रही है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है। सलाना आधार पर जीडीपी में 3 फीसदी की गिरावट हुई है। 2018 की इसी तिमाही में विकास दर 8 फीसदी थी।
मोदी सरकार के कार्यकाल में अब तक के किसी तिमाही में दर्ज़ किया गया ये सबसे कम जीडीपी है। एक तरफ जहाँ मोदी सरकार भारत को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाये जाने को लेकर कोशिश करती नज़र आ रही है, वहीँ हालिया जीडीपी दर सरकार के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। बता दें कि इससे पहले RBI ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी किया है। पहले चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 7 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया था।
क्या होता है जीडीपी ?
जीडीपी (ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट) का मतलब है होता है सकल घरेलू उत्पाद। यह एक दी हुई समय सीमा में किसी देश में उत्पादित, ऑफिशियल तौर पर अंतिम माल व सेवाओं का बाजार मूल्य है। यह देश के कुल उत्पादन को मापता है। इसमें हर व्यक्ति व उद्योगों द्वारा किया गया प्रोडक्शन शामिल होता है। जीडीपी को मापने के दो तरीके हैं। पहला कॉन्स्टैंट प्राइस और दूसरा करेंट प्राइस। कॉन्स्टैंट प्राइस में जीडीपी की दर को एक साल में प्रोडक्शन के प्राइस पर तय किया जाता है। वहीं, दूसरे करेंट प्राइस में प्रोडक्शन के साल की महंगाई दर भी होती है।