जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: आयुर्वेद की एक एसी थेरेपी है जिससे कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसे supraclavicular यानि कंधे के ऊपर के भागों में होने वाले विकारों को दूर करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इसे अनिद्रा या insomnia के लिए भी कारगर बताया गया है। जब एक नुस्खे से अनेक फायदे हैं तो sleeping pills लेने की क्या जरूरत।
क्या है इनसोमनिया?
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को या तो नींदआती ही नहीं है और अगर आती है तो कुछ ही देर के लिए आती है। ऐसे में कई बीमारी शरीर में घर करने लगती है। इससे हमारा दिमाग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। ऐसे में मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
आयुर्वेद में कई मस्तिक संबंधित रोगों को नस्य थेरेपी से ठीक किया गया है। इसलिए नस्य को मस्तिक का द्वार माना गया है। आइए जानते हैं कैसे की जाती है ये थेरेपी?
नस्य सभी सुप्राक्लेविक्युलर (कंधों के ऊपर के भाग) विकारों के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक थेरेपी है।
क्या चाहिए- गाय का शुद्ध घी या तेल, रूई या ड्रॉप
कैसे – घी को हल्का गर्म कर लें। ध्यान रहे ये अच्छी तरह से पिघला हो। फिर इसे रूई या ड्रॉप की मदद से नाक के दोनों छेदों में 2 बूंद डाल लें। इसको सुबह और रात दोनों समय करें।
इन बीमारियों से मिलती है राहत – अनिद्रा, ऑटो इम्यून थायरॉइड, रुमेटीइड आर्थराइटिस, मल्टीपल स्केलेरोसिस।
नोट- सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। जनतंत्र इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।