नई दिल्ली: Caste Census of India: कई महीनों से देश में जातिगत जनगणना और आरक्षण के मुद्दे छाए हुए हैं। जाति और आरक्षण संबंधी पुरानी बहसों की तरह ही इसमें भी स्पष्ट खांचें बने हुए हैं। इस संबंध में गत दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सौहार्दपूर्ण माहौल में बात हुई।
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Caste Census of India: भाजपा ने जाति जनगणना का विरोध नहीं किया
नीतीश कुमार ने पटना लौटने पर यह वक्तव्य दिया कि प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना की मांग को नकारा नहीं। इस पर भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भाजपा ने कभी जाति एवं जनगणना का विरोध नहीं किया है। यह सुखद है कि आज कम्युनिस्ट भी जातीय जनगणना के सवाल पर चिंता एवं विमर्श साझा कर रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में ऐसी तस्वीर देखने को नहीं मिली
बिहार की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में ऐसी तस्वीर देखने को नहीं मिली, जहाँ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव दोनों किसी एक मुद्दे पर एकमत हो। ये मुद्दा है जातिगत जनगणना का है। दोनों नेता आपसी मतभेद को भुलाकर केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना कराने के लिए गुहार लगाते नज़र आए।
क्षेत्रीय दलों की राजनीति जाति विशेष
आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस के नेतृत्व में देश में सरकार चलती रही। कांग्रेस के तमाम सहयोगी दल भी ये मांग उठाते रहे, लेकिन शायद ये मांग भी बाकी मुद्दों की तरह सियासी मुद्दा बनकर रह गई और इस पर राजनीति के अलावा कुछ नहीं हो पाया। अगर क्षेत्रीय दलों ने इस मांग को पुरजोर तरीके से उठाया होता तो शायद अब तक ये मांग पूरी हो जाती क्योंकि क्षेत्रीय दलों की राजनीति जाति विशेष और क्षेत्र विशेष की होती है।
क्या होती है जाति जनगणना
जातिगत जनगणना के द्वारा सिर्फ व्यक्तियों की गिनती वर्गो में नहीं होती है, बल्कि इसके द्वारा समाज की विभिन्न सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का ब्योरा भी एकत्रित किया जाता है। इसके द्वारा उनकी शैक्षणिक स्थिति आदि के आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। जनसंख्या के लिए स्त्री-पुरुष प्रतिशत और प्रजनन दर दर्ज की जाती है। इन वर्गो के खेती कार्यो में लगे और भूमिहीन मजदूरों की तालिका तैयार होती है। यह पता लगाया जाता है कि वे किस प्रकार के मकानों में रहते हैं। उम्र, शिक्षा, व्यवसाय, परिवार की भाषा, धर्म, और संपत्ति के सभी आंकड़े भी जातिगत जनगणना में रिकार्ड किए जाते हैं। जातीय जनगणना से यह भी पता चलेगा कि कमजोर एवं वंचित समाज तक विकास की योजनाएं किस हद तक पहुंची हैं।
मोदी सरकार ने पिछड़ी जातियों को मंत्रिपरिषद में जगह दी
मोदी सरकार ने पिछड़ी जातियों के 27 सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी है। मेडिकल-नीट में पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को आरक्षण देने का निर्णय किया गया है। स्मरण रहे कि 1990 में वीपी सिंह की सरकार द्वारा मंडल आयोग के फैसले को लागू करने की घोषणा की गई थी तो उसका सबसे ज्यादा विरोध मेडिकल सेवाओं में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थियों द्वारा ही किया गया था। तब कहा गया कि सरकार योग्यता के साथ समझौता कर रही है।
आँकड़ों के आधार पर कहा जाता है
मंडल कमीशन के आँकड़ों के आधार पर कहा जाता है कि भारत में ओबीसी आबादी 52 प्रतिशत है। हालाँकि मंडल कमीशन ने साल 1931 की जनगणना को ही आधार माना था। इसके अलावा अलग-अलग राजनीतिक पार्टियाँ अपने चुनावी सर्वे और अनुमान के आधार पर इस आँकड़े को कभी थोड़ा कम कभी थोड़ा ज़्यादा करके आँकती आई है।