नई दिल्ली : इस बार हाेने वाली G-7 समूह देशाें की आगामी बैठक की मेज़बानी ब्रिटेन करने वाला है। जहां ब्रिटेन ने G-7 समूह की आगामी बैठक में शामिल होने के लिए भारत को भी निमंत्रण भेजा है. खास बात यह है की ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद भी हाेने वाली गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे.
प्रधानमंत्री जॉनसन गणतंत्र दिवस परेड में हाेंगे मुख्य अतिथि-
जॉनसन दूसरे ऐसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री हाेगें जो गणतंत्र परेड में शामिल होंगे. बता दें की साल 1993 में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री जॉन मेजर गणतंत्र दिवस की परेड का हिस्सा बने थे. जिसके बाद अब गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन शामिल होंगे. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत समेत, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को आगामी जी-7 समिट में शामिल होने के लिए पत्र लिखा है. बताया जा रहा है की जी-7 सदस्य देश विस्तारवादी और आक्रामक चीन को काउंटर करेंगे.लोकतांत्रिक देशों का ये समूह चीन के लिए चुनौती पेश कर सकता है.
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण-
वहीं जी-7 की बैठक में ब्रिटेन से भारत को आमंत्रित किए जाने को एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा हैं. ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन अपनी विदेश और सुरक्षा नीति में इंडो-पैसिफिक पर जोर दे रहा है जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन के लिए भारत कितना अहम है।
इस माैके पर प्रधानमंत्री जॉनसन ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा की ‘ब्रिटेन के लिए रोमांचक वर्ष की शुरुआत में अगले साल भारत आने पर मुझे खुशी हो रही है, हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को विस्तार देने के लिए तत्पर हैं. इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में, भारत ब्रिटेन के लिए एक अहम साझेदार है क्योंकि हम नौकरियों और विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करते है साथ ही सुरक्षा के लिए खतरों का मिलकर सामना करते हैं.’ ब्रेग्जिट के बाद से जॉनसन का पहले द्विपक्षीय दौरे के लिए भारत को चुनना यह दिखाता है कि भारत ब्रिटेन के लिए कितना मायने रखता है. प्रधानमंत्री जॉनसन लोकतांत्रिक देशों के साथ काम करने के इच्छुक हैं ताकि सकारात्मक हितों को आगे बढ़ाने के साथ साथ चुनौतियां से भी निपटा जा सके.
क्या है G-7
जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी कथित विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं. इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं. पहले इस संगठन में रूस भी शामिल था लेकिन साल 2014 में क्रीमिया के कब्जे के बाद उसे इससे बाहर कर दिया गया। ब्रिटेन भारत को दुनिया की सबसे बड़ी फार्मेसी मानता है और भारत दुनिया की कुल वैक्सीन का 50 फीसदी उत्पादन करता है. जाहिर तौर पर भारत और यूके के बीच इन सभी सकारात्मक क़दमों को जानकर एक उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है।