नई दिल्ली : Afghanistan Crisis: तालिबान के कब्जे बाद से अफ़ग़ानिस्तान की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है। तालिबान के सत्ता में आने के तुरंत बाद, पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी अपनी जान बचाने के लिए अपनी मातृभूमि से भाग गए थे। अफ़ग़ान जमीं पर होती बर्बरता का जिम्मेदार अफ़ग़ान जनता कहीं न कहीं अशरफ गनी को ही मान रही है। अपनी ही जनता को किसी आतंकी समूह के हाथों में छोड़ना बहुत ही घिनौना कृत्य है। गनी की इस हरकत का खामियाजा अब अफगानिस्तान के निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने थमा तालिबान का हाथ
बता दें,बिना लड़ाई लड़े सरकार के घुटने टेकने के बाद से मुल्क पर अब तालिबान का राज हो चूका है। इसी बीच मीडिया रिपोर्ट्स से यह खबर आई “कि अशरफ गनी के भाई हशमत गनी अहमदजई ने कथित तौर पर तालिबान के साथ हाथ मिला लिया है।” रिपोर्ट्स के मुताबिक ‘कुचिस की ग्रैंड काउंसिल के प्रमुख हशमत गनी अहमदजई ने तालिबान नेता खलील उर रहमान और मुफ्ती महमूद जाकिर की उपस्थिति में आतंकवादी समूह के लिए अपने समर्थन की घोषणा की।
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अशरफ गनी का भाई तालिबान में शामिल
तालिबान का कथित तौर पर समर्थन करते हुए अशरफ गनी के भाई ने तालिबान नेताओं के साथ ट्विटर पर एक वीडियो भी साझा किया है। मुहम्मद जलाल ने दावा किया है, ‘अशरफ गनी का भाई तालिबान में शामिल हो गया है। उन्होंने अलहज खलील उर रहमान हक्कानी से मुलाकात के बाद अपना समर्थन देने का वादा किया।’
तालिबान के कब्ज़े के बाद ही यूएई की राजधानी अबू धाबी में अपने परिवार के साथ बस गए हैं। फ़िलहाल अमरुल्ला सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का ‘वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति’ घोषित करते हुए अफ़ग़ानिस्तान को संभालने की कोशिश कर रहे हैजिसके साथ ही तालिबान के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध करने का आह्वान किया हैं ।