नई दिल्ली: Ramkatha in Urdu: ”हे राम तेरे नाम को हर नाम पुकारे, बंदा ये तेरा पल-पल तेरी राह निहारे” प्रभु श्रीराम के प्रति ये आस्था व्यक्त करती ये लाइनें किसी हिंदू कवि की नहीं बल्कि मुस्लिम महिला साहित्यकार डॉक्टर माहे तिलत सिद्दीकी की गजल का हिस्सा हैं। गंगा जमुनी तहजीब को आत्मसात करती हुई एक अच्छी खबर आयी है जिसमे कानपूर की एक महिला साहित्यकार ने श्री राम कथा को उर्दू में अनुवाद किया है। जिसमें गजल व नज्मों से प्रभु श्रीराम की अकीदत के साथ उन्होंने पुस्तक ‘रामकथा और मुस्लिम साहित्यकार समग्र’ का उर्दू तर्जुमा यानी अनुवाद किया है। ताकि मुस्लिम भी प्रभु श्रीराम के कृतित्व-व्यक्तित्व से रूबरू हो सकें। इस पुस्तक में मुस्लिम साहित्यकारों ने रचनाओं से श्रीराम को नमन किया है।
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Ramkatha in Urdu: ‘रामकथा’ का उर्दू में तर्जुमा
डॉक्टर सिद्दीकी कहती हैैं कि भाषा-कलम का कोई मजहब नहीं होता। उनका कहना था की श्रीराम को सिर्फ हिंदू लेखकों ही नहीं मुस्लिम साहित्यकारों ने भी आत्मसात किया है। उन्होंने नज्मों व गजलों में प्रभु राम की महानता, वीरता और त्याग व समर्पण को पिरोया है। उनका ये भी कहना था की दुर्भाग्य की बात है कि इस अलग तरह की भावना रखने वाली मुस्लिम महिला साहित्यकार को उतनी शोहरत नहीं मिली। जितनी मिलनी चाहिए थी। मुस्लिम साहित्यकारों द्वारा लिखी गई नज्मों व गजलों व लेखों को मुस्लिम समाज तक पहुंचाने का बीड़ा महिला साहित्यकार एवं मुस्लिम जुबली गर्ल्स इंटर कालेज में शिक्षिका डॉ.सिद्दीकी ने उठाया है। वह गंगा-जमुनी तहजीब को मजबूत करने के लिए सेतु का काम कर रही है। उन्होंने श्रीराम पर खुद नज्म लिखीं है ।
एक बेहतर विकल्प
आपको बता दें डॉक्टर सिद्दीकी ने यादों के झरोखों से, समकालीन हिंदी एवं उर्दू कहानी लेखिकाओं का तुलनात्मक अध्ययन, गंतव्य की ओर, अदबी संगम सरीखी आठ पुस्तकें लिख चुकीं है और इस पुस्तक के तर्जुमे के लिए अपनी मां की भी मदद ली। उन्होंने कहा कि उर्दू पढऩे वालों के लिए श्रीराम को समझने के लिए इससे बेहतर कोई विकल्प नहीं होगा। वह कहती हैैं कि पुस्तक का उर्दू तर्जुमा गंगा-जमुनी संगम का प्रयास है। जो एकता और भाई-चारे को मजबूत करेगा।