Mehbooba Mufti House Arrest: महबूबा मुफ्ती की पार्टी ने कहा, ‘पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सोमवार को नजरबंद कर दिया गया।’ पार्टी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाए जाने से पहले ही, पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष @महबूबा मुफ्ती के आवास के दरवाजे सील कर दिये हैं और उन्हें अवैध रूप से नजरबंद कर दिया है।”
एक टीम तैनात की गई
अधिकारियों ने कहा कि इस बीच, पुलिस ने पत्रकारों को नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के गुपकर स्थित आवास के पास इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी। गुपकर रोड के प्रवेश बिंदु पर पुलिस कर्मियों की एक टीम तैनात की गई थी और पत्रकारों को नेकां नेताओं के आवास के आसपास कहीं भी जाने की अनुमति नहीं थी।
श्रीनगर से संसद सदस्य हैं
अक्टूबर 2020 में अपना आधिकारिक आवास खाली करने के बाद उमर अब्दुल्ला अपने पिता के साथ रहते हैं। जबकि फारूक अब्दुल्ला, जो श्रीनगर से संसद सदस्य हैं, मौजूदा संसद सत्र के लिए दिल्ली में हैं, उनके बेटे घाटी में हैं। तो वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हम देखेंगे और बात करेंगे…”
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील मुजफ्फर इकबाल ने कहा था, “हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला करेगा।”
5 अगस्त 2019 का फैसला..
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है। 5 अगस्त 2019 का फैसला बना रहेगा। तो वहीं सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है। बता दें कि कोर्ट का कहना कि, केंद्र सरकार का फैसला वैध है।