क्या है नागरिकता संशोधन बिल
नई दिल्ली – नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) में क्या हैं? नागरिक संशोधन विधेयक के तहत 1955 के सिटिजनशिप ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव है।
किन समुदायों को दी जाएगी नागरिकता
इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते एक साल से लेकर 6 साल तक भारत में आकर बसे हैं, फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए ये अवधि 11 साल की है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां इस बिल का विरोध कर रही हैं। विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार धर्म के आधार पर नागरिकता को बांट रही है और शरणार्थियों को धर्म के आधार पर बांट रही है।
अमित शाह ने पेश किया बिल
बता दे कि आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश कर दिया है। जिसमें अमित शाह ने कहा ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं। इस बिल पर सदन में विपक्ष लगातार विरोध किया। इस बिल के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।
वहीं लोकसभा में होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री ने विधेयक पेश किया है। जिसमें छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है और इसके बाद इस पर चर्चा होगी और इसे पारित कराया जाएगा। वहीं इस बिल को पेश करने से पहले रविवार को बीजेपी ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों के लिए सोमवार से बुधवार तक का थ्री लाइन व्हिप जारी किया है।
पिछली बार मोदी सरकार ने बिल पेश किया था
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने पिछली बार इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था। लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गई थी।