Panchayat Series : ओवर द टॉप या ओटीटी पर सबसे ज्यादा देखी जाने वाली वेब सीरीज ‘पंचायत’ के चाहने वालों का इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। फुलेरा गांव की टोली एक बार फिर लौट आई है। जी हां, आधी रात को पंचायत का अगला सीजन यानी सीजन 4 रिलीज कर दिया गया है। इस सीरीज की शुरुआत साल 2020 में हुई थी। उस वक्त किस को पता था कि आज यह टॉप ओटीटी सीरीज में शुमार हो जाएगी।
पांच सालों में पंचायत सीरीज के तीन सीजन आ चुके हैं। पिछले साल ही तीसरा सीजन आया था जिसे दर्शकों ने काफी पंसद किया था। आज पंचायत का चौथा सीजन भी रिलीज हो गया है। सीरीज के सभी 8 एपिसोड आधी रात जारी कर दिए गए। रात 12 बजे जैसे ही सीरीज की स्ट्रीमिंग हुई, इसे देखने वालों की होड़ मच गई। कई लोगों ने रातभर जागकर पूरी सीरीज निपटा डाली। अब सचिव जी, रिंकी, मंजू देवी और बनराकस की टोली एक बार फिर से दर्शकों को लुभा पाई है या नहीं, चलिए आपको पंचायत सीजन 4 (Panchayat Season 4) के सोशल मीडिया रिएक्शंस के बारे में बताते हैं।
कैसा रहा लोगों का रिएक्शन ?
एक्स पर एक यूजर ने ‘पंचायत 4’ रिलीज होते ही पूरी सीरीज देख डाली। इसके बाद उसने अपना रिव्यू शेयर करते हुए लिखा, “मैंने Panchayat Season 4 एक ही रात में पूरा देख डाला। वजह सीधी है कि ये सीरीज़ सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि उन लाखों सरकारी कर्मचारियों की जिंदगी को बयां करती है जो देश के गांवों में सेवा दे रहें हैं। मैं खुद एक सरकारी कर्मचारी हूं, जो हर दिन ग्रामीणों से मिलता है, उनकी परेशानियां सुनता है और सरकारी योजनाओं को ज़मीन पर उतारने की कोशिश करता है। यही वजह है कि ये सीरीज़ मेरे दिल के बेहद करीब है। Season 4 पूरी तरह पंचायत चुनाव पर केंद्रित रहा है और इसमें कोई शक नहीं कि इसका अंतिम एपिसोड भावनात्मक रूप से बेहद प्रभावशाली था। खासतौर पर एपिसोड 8 के आखिरी 10 मिनट में जब प्रधान जी चुनाव हारने के बाद जो अभिनय किया, उसने सचमुच आंखों में आंसू ला दिए। ऐसा अभिनय बरसों में देखने को मिलता है यह सीन पूरे सीज़न की जान था। लेकिन जिस तरह पहले के सीज़न में सचिव जी को सरकारी योजनाएं जैसे सोलर लाइट, मनरेगा, प्रधानमंत्री गरीब आवास योजना, गांव के चौराहों पर CCTV कैमरा लगवाना हो आदि में सक्रिय रूप से जुड़ा दिखाया गया था, वही भावना इस सीज़न में कहीं खो सी गई। Season 4 में सचिव जी का गांव के लिए कोई ठोस विकास कार्य या सरकारी योजना में भागीदारी नहीं दिखी। उल्टे, सचिव जी पंचायत चुनाव में इतने गहरे शामिल हो गए कि वो खुलकर प्रचार करते नजर आए, जो कि एक सरकारी कर्मचारी के लिए नियमों के खिलाफ है। Panchayat हमेशा असल ग्रामीण भारत की तस्वीर दिखाने के लिए जानी जाती रही है, लेकिन Season 4 में कहीं न कहीं वो जमीनी हकीकत का भाव अधूरा सा रह गया। उम्मीद करता हूं कि Season 5 में फिर वही सादगी, वही संघर्ष, और वही असल ‘ग्राम सचिव’ की भूमिका देखने को मिलेगी।”
मैंने Panchayat Season 4 एक ही रात में पूरा देख डाला। वजह सीधी है कि ये सीरीज़ सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि उन लाखों सरकारी कर्मचारियों की जिंदगी को बयां करती है जो देश के गांवों में सेवा दे रहें हैं।
मैं खुद एक सरकारी कर्मचारी हूं, जो हर दिन ग्रामीणों से मिलता है, उनकी परेशानियां… pic.twitter.com/BYDRtR0Bi0
— Lokesh Kumar (@TweetByLokesh) June 24, 2025
वहीं, एक यूजर ने पंचायत सीजन 4 को सिनेमा की एक संस्था बताया। सीरीज का रिव्यू देते हुए यूजर ने लिखा, “PanchayatSeason4 सिर्फ एक शो नहीं है, यह सिनेमा की एक संस्था है। कहानी, पटकथा और भावना में एक मास्टरक्लास यह आपको हंसाता है, यह आपको रुलाता है, हर फ्रेम बोलता है। कुछ जीतें खुशी नहीं लातीं कुछ जीतें हार से भी ज्यादा दुख पहुंचाती हैं यह असली है। वह पंचायत है।”
.#PanchayatSeason4 is not just a show it’s an institution of cinema.
A masterclass in storytelling, screenplay & emotion
It makes you laugh, it makes you cry every frame speaks.Some victories don’t bring joy
Some victories hurt more than defeats
That’s real. That’s #Panchayat pic.twitter.com/YT5fiRmVBu— Kushagra Saxena🇮🇳 (@KushagraSaxena_) June 24, 2025
इस बार कई लोगों को पंचायत सीजन 4 कुछ खास नहीं लगी। सीरीज का रिव्यू देते हुए यूजर ने लिखा, “पंचायत सीजन 4 ओरिजिनल review 6/10 रेटिंग देना चाहूंगा ऐसा कुछ खास था नहीं बस लास्ट के कुछ एपिसोड ठीक थे। Panchayat season 4 में प्रधान जी चुनाव हार जाते हैं। अगर PanchayatOnPrime अगला सीज़न आता है तो प्रहलाद चाचा और विधायक जी विधानसभा चुनाव लड़ते दिखेंगे क्योंकि विधायक जी को पार्टी ने बाहर निकाल कर टिकट प्रहलाद चाचा को दे दिया है। सचिव जी 97 Percentage के साथ CAT का EXAM भी पास कर लेते हैं। रिंकी और सचिव जी का एक रोमांटिक सीन जरूर है परंतु इनकी लव स्टोरी को इस सीजन में वैल्यू कम दी है। प्रधानजी पर गोली किसने चलाई यह राज भी राज ही रह गया इसी बीच सांसद महोदय की एंट्री होती है और प्रहलाद चाचा को टिकट दे देते हैं। अंत में प्रधान जी 73 वोटो से चुनाव हार जाते हैं।”