Sonia Gandhi on Israel Iran War: ईरान-इजरायल की जंग अब खतरनाक मोड़ लेती जा रही है। दोनों देशों के बीच तनाव के चलते पूरी दुनिया दो गुटों में बटती जा रही है। एक तरफ अमेरिका है जो खुलकर इजरायल के साथ नजर आ रहा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ देश पीछे से ईरान का साथ दे रहे हैं। अब इस तनाव के बीच कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की भी प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है।
सोनिया गांधी ने मिडिल ईस्ट पर दी प्रतिक्रिया
इजरायल और ईरान की जंग को लेकर सोनिया गांधी ने एक इंग्लिश अखबार पर लेख लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा कि “ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है। वह हमेशा से हमारे साथ गहरे संबंधों के साथ बंधआ हुआ है। जम्मू-कश्मीर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ईरान ने भआरत का खुलकर समर्थन किया है। 1994 में ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र आयोग में भारत की आलोचना करने वाले प्रस्ताव को रोकने में भी मदद की थी।”
Sharing an excerpt from CPP Chairperson, Smt. Sonia Gandhi’s piece in @the_hindu today, elucidating and reiterating the Congress party’s stand on our Foreign Policy in West Asia —
‘Iran has been a long-standing friend to India and is bound to us by deep civilisational ties. It… pic.twitter.com/AO0XjkBpNW
— Mallikarjun Kharge (@kharge) June 21, 2025
खरगे ने एक्स अकाउंट पर किया पोस्ट
सोनिया गांधी के इस लेख को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर शेयर किया था। सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा कि “भारत और इजरायल ने हाल के दशकों में रणनीतिक संबंध विकसित किए है। यह हमारे देश को कूटनीतिक लाभ देती है। ताकि तनाव कम करने और शांति के लिए काम किया जा सके। पूरे पश्चिम एशिया में लाखों भारतीय रह रहे हैं। जो या तो पढ़ाई कर रहे हैं या फिर काम।
“भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए”
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने इस लेख में मोदी सरकार की कूटनीति पर भी हमला बोला। उन्होंने लिखा कि “इस मानवीय आपदा के सामने, मोदी सरकार ने शांतिपूर्ण दो-राज्य समाधान के लिए भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को त्याग दिया है, जो एक संप्रभु, स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करता है, जो आपसी सुरक्षा और सम्मान के साथ इजरायल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रह सके।” सोनिया गांधी ने कहा कि “अभी भी बहुत देर नहीं हुई है। भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए। हमारे देश को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। ताकि तनाव को कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत की वापसी को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध हर कूटनीतिक चैनल का उपयोग करना चाहिए।