जनतंत्र डेस्क, नई दिल्ली: बसंत पंचमी का त्यौहार इस साल 5 फरवरी को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। मां सरस्वती के अलावा कामदेव और रति की भी पूजा करने की परंपरा है। आइए जानते हैं बसंत पंचमी के दिन क्यों होती है कामदेव और रति की पूजा।
Basant Panchami 2022: बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की होगी कृपा, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन से कामदेव और रति पृथ्वी पर आते हैं, तभी से बसंत ऋतु का आगमन होने लगता है। माना जाता है कामदेव और रति के आगमन से पृथ्वी पर प्रेम बढ़ता है। कामदेव के प्रभाव से पृथ्वी पर इस ऋतु में सभी जीवों में प्रेम भाव का संचार होता है। यही कारण है कि बसंत पंचमी पर कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा की जाती है।
कौन हैं कामदेव
प्रेम और काम के देवता कामदेव हैं और उनकी पत्नी रति हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदेव भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पुत्र हैं। उनका विवाह रति से हुआ है। भगवान शिव ने क्रोध में आकर जब उनको भस्म कर दिया था, तब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रुप में उनको फिर से शरीर प्राप्त हुआ।
सती के आत्मदाह के बाद वैरागी भगवान शिव के मन में काम और प्रेम जागृत करने के लिए देवताओं ने कामदेव का सहयोग लिया था, ताकि भगवान शिव का ध्यान भंग हो और माता पार्वती से उनकी दोबारा मिलन हो। इस वजह से कामदेव ने पत्नी रति के साथ भगवान शिव का ध्यान भंग किया। परिणामस्वरुप भगवान शिव के क्रोध का वे शिकार हो गए।
कामदेव को भस्म स्वरुप में देखकर रति विलाप करने लगीं, तो भगवान शिव ने उनको आशीर्वाद दिया कि कामदेव भाव रुप में मौजूद रहेंगे। वे मरे नहीं हैं, वे अनंग हैं, क्योंकि उनका शरीर नष्ट हो गया है, वे अब बिना अंग वाले हो गए हैं। प्रद्युम्न के रुप में उनको दोबारा शरीर प्राप्त होने का वरदान शिव जी ने दिया था।