जनतंत्र डेस्क, Gujarat: देश के कई हिस्सों में जहां सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की खबरें आ रही हैं। वहीं गुजरात में सांप्रदायिक सोहार्द की अटूट मिसाल कायम की गई। गुजरात के एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की। यहां बनासकांठा में रमजान के मौके पर मंदिर में मुस्लिम लोगों को उपवास तोड़ने के लिए बुलाया गया। इस इफ्तारी में कम से कम 100 मुस्लिम निवासी मंदिर में पहुंचे।
Karnataka: 800 साल पुराने मंदिर को बचाने के लिए हिंदू-मुस्लिम ने कायम की सौहार्द की मिसाल
दरअसल, बनासकांठा के वरंदा वीर महाराज मंदिर के पुजारी पंकज ठाकर ने दलवाना गांव के मुस्लिम निवासियों के लिए इफ्तार की दावत रखी। मंदिर परिसर पहुंचे मुस्लिम निवासियों ने नमाज अदा कर रोजा खोला। मंदिर के पुजारी पंकज ठाकर ने कहा कि गांव के लोग हमेशा प्यार और भाईचारे में विश्वास करते हैं।
Gujarat: 1200 साल पुराना मंदिर का इतिहास
बनासकाठा का वरंदा वीर महाराज मंदिर लगभग 1200 साल पुराना बताया जाता है। गांव के लोगों में मंदिर का खास महत्व है। पहली बार मंदिर के पुजारी ने रमजान पर मुस्लिम लोगों के लिए इफ्तार का आयोजन किया और मुस्लिमों के लिए मंदिर के दरवाजे खोल दिए।
This is a story about unity that should be told to everyone. One that truly represents India.
Fasting Muslims known as rozedaars, were welcomed into a historic Hindu temple in Gujarat's Dalvana hamlet to to offer namaz and iftar in the holy month of Ramazan.
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— Mohammed Futurewala (@MFuturewala) April 9, 2022
गांव में सभी धर्मों के लोग एक दूसरे की मदद करते हैं। जब भी एक दूसरे के त्योहारों की तारीखें एक साथ होती हैं तब आपसी सौहार्द का परिचय दिया जाता है। इस साल मंदिर ट्रस्ट और ग्राम पंचायत ने मुस्लिम रोजेदारों को अपना उपवास तोड़ने के लिए मंदिर परिसर में आमंत्रित करने का फैसला किया।
पुजारी पंकज ठाकुर के मुताबिक, गांव के 100 से ज्यादा मुस्लिम रोजेदारों के लिए पांच से छह तरह के फल, खजूर और शर्बत की व्यवस्था की गई। पुजारी और हिंदू समुदाय के अन्य लोगों ने मंदिर में रोजेदारों का स्वागत किया।
इस पहल और सांप्रदायिक एकता को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कहा कि गांव के लोग मिल-जुलकर रहते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने त्योहारों को मिलकर मनाते हैं। ग्राम पंचायत ने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों से संपर्क किया और उन्हें एक प्रस्ताव दिया कि मुसलमानों को शुक्रवार को मंदिर में अपना रोजा तोड़ना चाहिए।
वाकई में गंगा-जमुनी तहजीब और संस्कृति तो भारत की विशेषता है। एक तरफ जहां सोशल मीडिया नफरती विचारों से भरा हुआ है वहीं गुजरात की ये खबर सुखद अहसास वाली है। जो बताती है कि आपसी एकता हर नफरत पर हावी है।