यूपी के बुंदेलखंड में जल संकट की समस्या काफी पुरानी है लेकिन केंद्र और सूबे में बीजेपी की सरकार आने के बाद सरकार के दावे और सरकार की योजनाओं में बुंदेलखंड में पेयजल समस्या को खत्म करने के लिए भारी भरकम बजट खर्च किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांदा चित्रकूट में जल संकट को दूर करने के लिए अपने ड्रीम प्रोजेक्ट खटान परियोजना की भी शुरुआत की थी जो काफी तेजी से परवान चढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में बुंदेलखंड के जल संकट को खत्म करना है और बुंदेलखंड के लोगों को साफ और स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना है. लेकिन बांदा में ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं जिन्होंने न सिर्फ़ सरकार के दावों पर सवालिया निशान लगा दिया है बल्कि सरकारी मशीनरी की उदासीनता और लापरवाही को भी खुलकर सामने रख दिया है. बांदा में जलशक्ति मंत्रालय में राज्यमंत्री रामकेश निषाद के गृह और विधानसभा तिंदवारी में ही एक ऐसा गांव है जहां की आधी आबादी पेयजल से वंचित है. यहां लोग एक गड्ढा खोदकर गड्ढे में इकट्टा गंदा पानी पीने पर मजबूर है. संक्रमित पानी पीने से इस गांव में बीमारियों का भी अंबार है लेकिन न तो जिम्मेदार अधिकारियों के कानों में जूं रेंग रही है और ना ही खुद जल शक्ति राज्यमंत्री की नींद टूटती दिखाई देती है.
दरअसल पूरा मामला बुंदेलखंड के तिंदवारी विधानसभा के त्रिवेणी गांव का है. बांदा में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘हर घर नल, हर नल में जल’ और सीएम योगी का जल जीवन मिशन का प्रचार और काम अपने पूरे जोरों पर चल रहा है लेकिन इस गांव की आधी आबादी आज भी गड्ढे का गंदा पानी पीने पर मजबूर है. त्रिवेणी गांव के गवाईन नाले के पास पेयजल संकट से जूझ रहे लोगों ने एक गड्ढा खोदा हुआ है जिसमें पानी का स्रोत है. इसी गंदे पानी से त्रिवेणी गांव के सैकड़ों निवासी अपनी प्यास बुझाते हैं और दैनिक दिनचर्या के कामों में इसी पानी को इस्तेमाल करते हैं. सुबह से ही सैकड़ों की तादाद में महिलाएं बच्चे और पुरुष हाथों में खाली बर्तन लेकर गांव से निकल पड़ते हैं और तकरीबन 500 मीटर दूर इस गड्ढे तक पहुंचते हैं और फिर बाल्टी में रस्सी बांधकर गड्ढे से पानी निकालते हैं. उस पानी को कपड़े से छानते हैं और अपने घर ले जाते हैं. पेयजल संकट से जूझ रहे त्रिवेणी के लोगों के मुताबिक वे यही गंदा पानी को पीने पर वह मजबूर हैं क्योंकि सरकारी पाइपलाइन तो पड़ गई है लेकिन पिछले 2 सालों से एक बूंद पानी गांव में नहीं आ रहा है. गांव वालों के मुताबिक गंदा पानी पीने से वह और उनके बच्चे भी बीमार होते हैं. गांव वालों का कहना है कि जब कोई नेता आता है तो इन औरतों को यह कहकर रैली स्थल में ले जाकर भीड़ बढ़ाई जाती है कि यहां तुम्हारी समस्या का समाधान होगा लेकिन इनकी समस्या सुनने वाला वहां कोई नहीं होता. ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय तक अपनी फरियाद लेकर कई बार जा चुके हैं लेकिन नतीजा शून्य ही सामने आया है.
इस मामले में जब त्रिवेणी के प्रधान मूलचंद्र का कहना है कि यह समस्या कई साल से चली आ रही है. इसके लिए काफी प्रयास किया गया है, लेकिन इस समस्या का निराकरण किसी ने नहीं किया. प्रधान के मुताबिक वह ग्रामीणों को लेकर स्थानीय विधायक और जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद के दरवाजे भी जा चुके हैं लेकिन वहां भी सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला. प्रधान पति के मुताबिक गांव की महिलाओं ने खुद फावड़े से यह गड्ढा खोदा था क्योंकि इस जगह पर पानी का एक स्रोत है और इसी गड्ढे में भरे पानी को गांव वाले छानकर किसी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.