Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को गोरखपुर दौरे के दौरान बड़ा बयान दिया है. उन्होंने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर कहा है कि “ज्ञानवापी को मस्जिद कहना सही नहीं होगा, क्योंकि ज्ञानवापी के अंदर सनातनी साक्ष्य मौजूद हैं, वहां ज्योतिर्लिंग है, देव प्रतिमाएं हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी की दीवारों पर कई सबूत मिले हैं जो चीख-चिल्लाकर मंदिर होने का सबूत दे रहीं हैं और मुझे लगता है कि जो ऐतिहासिक गलती हुई है, उसको उलझाने के बजाए सुधारने के लिए मुस्लिम समाज को पहल करनी चाहिए”.
इसके अलावा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “मैं पिछले छह वर्षों से उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं और 2017 से उत्तर प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले एक बार जरूर देखें कि उत्तरप्रदेश में चुनाव किस प्रकार संपन्न हुए, जबकि हालहीं में पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा हुई. कुछ लोग सत्ता में आकर सत्ता को अपनी मुट्ठी में कैद करना चाहते हैं. सिर्फ ‘इंडिया’ नाम रख लेने और चोला बदलने से उन्हें पिछले कर्मों से मुक्ति नहीं मिल जाएगी।
मंशा है कि यह मामला अयोध्या मंदिर जैसे लम्बा ना खींचे
आपको बता दें, सावन के सोमवार के दिन मुख्यमंत्री योगी का बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह बयान ऐसे वक़्त पर आया है जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे पर 3 अगस्त तक रोक लगा दिया है, जबकि इससे पहले वाराणसी के जिला न्यायालय ने सर्वे कराने का आदेश दिया था. ऐसे क़यास लगाए जा रहें हैं कि इसके पीछे यह मंशा है कि यह मामला अयोध्या मंदिर जैसे लम्बा ना खींचे और सुलह समझौते के जरिये समाधान निकल आए.
मुख्यमंत्री के इस बयान पर ज्ञानवापी मामले से जुड़े याचिकाकर्ता ने कहा, “सीएम योगी का बयान एकदम सही दिशा में है. मुस्लिम पक्ष को अपनी जिद छोड़नी चाहिए”. इससे जुड़े एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा, “ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष को स्वस्थ और सकारात्मक तरीके से आगे जाना चाहिए. अगर वहां मस्जिद है तो मुस्लिमों को ज्ञानवापी के सर्वे से ऐतराज क्यों है”.