नई दिल्ली: Gorakhpur Ayush University: राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने यूपी को दो बड़ी सौगात दी हैं । 28 अगस्त को महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों यूपी स्तिथ गोरखपुर के पिपरी गांव में बन रहे प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया गया। शिलान्यास से पहले सीएम योगी ने खुद विश्वविद्यालय की जमीन का निरीक्षण किया जहां अधिकारियों ने सीएम योगी से जरूरी निर्देश भी साझा किये। सीएम योगी ने दूरबीन से पूरे स्थल का गहन मुआयना भी किया।
52 एकड़ भूमि पर बनने जा रही है आयुष विश्वविद्यालय
बता दें, गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के पिपरी में 52 एकड़ भूमि पर बनने जा रही राज्य की पहले आयुष विश्वविद्यालय में एक ही उपांत में आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी और योग चिकित्सा की पढ़ाई और उस पर शोध कार्य भी स्थापित किया जायेगा। इन विधाओं से यहां चिकित्सा भी सुलभ होने की भी संभावना है। योग सहित प्राकृतिक व परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित में योगी सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। प्रदेश के आयुष विधा के 98 कॉलेज इस विश्वविद्यालय से सम्बंदित होंगे।
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निर्माण विभाग ने 299.87 करोड़ का मौलिक डीपीआर तैयार किया
शिलान्यास के तत्काल बाद ही विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य की शुरुआत हो गयी है। अधिकारियों के मुताबिक आयुष विश्वविद्यालय का निर्माणकार्य 2023 तक पूरा हो जायेगा। 52 एकड़ की जमीं पर बनने जा रहे आयुष विश्वविद्यालय के लिए कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने 299.87 करोड़ का मौलिक डीपीआर तैयार किया गया है। विश्वविद्यालय की चारदीवारी निर्माण के लिए 2.4 करोड़ रुपये तथा मिट्टी भराई के लिए 3.99 करोड़ रुपये सरकार द्वारा रिलीज़ किये गए है। विश्वविद्यालय का वास्तुशिल्प भारतीय संस्कृति के अनुरूप होगा। इसके परिसर में एकेडमिक भवन, प्रशासनिक भवन, आवासीय भवन, छात्रावास, गेस्ट हाउस के अलावा आडिटोरियम और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी निर्मित किया जायेगा।
विश्वविद्यालय में रिसर्च सेंटर का भी होगा निर्माण
आयुष विद्यालय के निर्माण से किसानों को भी काफी फायदा होगा। विश्वविद्यालय की निगरानी में वह औषधीय खेती के लिए प्रेरित किये जायेगे। इस विश्वविद्यालय में आयुष इंस्टिट्यूट व रिसर्च सेंटर का भी निर्माण किया जायेगा। सीएम योगी आयुष विश्वविद्यालय में महाविद्यालयों की संबद्धता और अन्य प्रशासनिक कार्य सत्र 2021-22 से व विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य सत्र 2022-23 से प्रारंभ करने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। गोरखपुर में इस विश्वविद्यालय के खुलने से पूर्वांचल की छह करोड़ से अधिक जनता को चिकित्सा का एक और बेहतर विकल्प मिलेगा।