Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा पिछले पांच महीने चल रही है। जिसका असर अब भी देखने को मिल रहा है। ये भी जान लें कि, मणिपुर में पहली बार हिंसा 3 मई को शुरु हुई थी। जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसुचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेके विरोध हुआ था। उस दौरान ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ भी निकाला गया था। तब से लेकर अब तक मणिपुर में 175 से अधिक लोग मारे गए हैं और बहुत लोग घायल हुए हैं।
इंटरनेट और स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। हिंसा को देखते हुए इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट में कर्फ्यू लगाया है। आपको बता दें कि राज्य में हिंसा उस समय शुरु हुई थी जब जुलाई से लापता दो युवकों के शवों की तस्वीरें सोमवार(25 सितंबर) को सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी। इसके बाद यहां प्रर्दशन शुरु हो गया और अभी तक जारी है।
मणिपुर पुलिस का ट्वीट
“अनियंत्रित भीड़ ने एक नेता के घर पर हमला करने की कोशिश की, संयुक्त सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को खदेड़ा। बेकाबू भीड़ ने पुलिस की एक जिप्सी को निशाना बनाकर उसे जला दिया, जबकि एक पुलिसकर्मी के साथ मारपीट कर उसका हथियार छीन लिया। मणिपुर पुलिस इस तरह की कार्रवाई की निंदा करती है और ऐसे उपद्रवियों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाएगी। हथियारों की बरामदगी और बदमाशों की धरपकड़ के लिए कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया जा रहा है”
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा,
“147 दिनों से मणिपुर के लोग परेशान हैं, लेकिन पीएम मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है। इस हिंसा में छात्रों को निशाना बनाए जाने की भयावह तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब यह स्पष्ट है कि इस संघर्ष में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को हथियार बनाया गया था। खूबसूरत राज्य मणिपुर को भाजपा के कारण ‘युद्ध के मैदान’ में बदल दिया गया है! अब समय आ गया है, पीएम मोदी भाजपा के “अक्षम” मणिपुर मुख्यमंत्री को बर्खास्त करें। किसी भी आगे की उथल-पुथल को नियंत्रित करने के लिए यह पहला कदम होगा।”