गुजरात के अहमदाबाद में एक नामी स्कूल में 9वीं कक्षा के छात्र ने 10वीं कक्षा के छात्र की स्कूल कैंपस के अंदर चाकू मारकर हत्या कर दी। यह वारदात दोपहर स्कूल खत्म होने के तुरंत बाद हुई। जिसके बाद वो अपने दोस्त से उसी कत्ल को लेकर बात करता है। आरोपी छात्र ने एक दिन पहले अपने दोस्त से चैट पर कहा था, “जो हुआ, सो हुआ। कुछ दिन के लिए छिप जा और चैट डिलीट कर दे।” अब आरोपी छात्र और उसके दोस्त के बीच होने वाली चैट को लेकर जुविनाइल एक्ट पर सवाल उठने लगे हैं. चलिए आपको बताते हैं इस घटना की पूरी कहानी…
झगड़ा था सीढ़ियों पर चढ़ने को लेकर
इस स्कूल में पहले भी दोनों छात्रों के बीच मामूली झगड़ा हुआ था, जो स्कूल की सीढ़ियों पर पहले चढ़ने को लेकर हुआ था। इसे तोड़-मरोड़ कर गंभीर रूप दे दिया गया। 19 अगस्त को जब दोनों छात्र स्कूल में एक-दूसरे के सामने आए, तो 9वीं के छात्र ने चाकू से हमला कर 10वीं के छात्र को घायल कर दिया, जो बाद में मौत का शिकार हो गया।
पुलिस की लापरवाही और प्रशासन की चुप्पी
यह वारदात स्कूल कैंपस के अंदर दर्जनों छात्रों के सामने हुई। घायल छात्र की मदद के लिए स्कूल का कोई स्टाफ समय पर नहीं पहुंचा। स्कूल प्रशासन शांत रहा और कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में पुलिस ने आरोपी छात्र को हिरासत में लिया, लेकिन नाबालिग होने के कारण उसे बाल सुधार गृह भेजा गया।
जुविनाइल एक्ट पर उठा सवाल- क्या नाबालिग होने का मतलब सजा से छूट?
इस घटना के बाद यह बहस फिर छिड़ गई है कि क्या सिर्फ नाबालिग होने की वजह से जघन्य अपराध करने वालों को सजा नहीं मिलनी चाहिए? निर्भया केस के बाद कानून में बदलाव जरूर हुआ, लेकिन इस मामले में आरोपी ने हत्या के बाद भी अपने दोस्त से चैट पर हंसी-ठिठोली की, जो उसके मानसिक स्तर को दर्शाता है।
यूपी के गाजीपुर में भी ऐसी ही हत्या
गाजीपुर के एक निजी स्कूल में 9वीं के छात्र ने 10वीं के छात्र की कैंपस में ही हत्या कर दी। मामूली बहस ने खौफनाक मोड़ लिया। आरोपी छात्र पानी की बोतल में चाकू छिपाकर लाया था। पुलिस ने उसे हिरासत में लिया, लेकिन नाबालिग होने की वजह से उसे भी बाल सुधार गृह भेजा गया।
उत्तराखंड में छात्र ने टीचर को गोली मारी
अजीब इत्तेफाक है कि नवीं क्लास के ही एक और छात्र ने उत्तराखंड के काशीपुर में अपने ही टीचर से बदला लेने के लिए टिफिन बॉक्स में तमंचा छिपाकर लाया और क्लास खत्म होने के बाद टीचर को गोली मार दी। वजह? दो दिन पहले टीचर ने छात्र की क्लास में पिटाई की थी। छात्र इस बात से गुस्से में था।
क्या कहता है समाज?
लोगों का कहना है कि स्कूलों को स्मार्ट बनाने के साथ-साथ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और मूल्यों पर भी काम करना चाहिए। स्कूल प्रशासन और सरकार दोनों को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए। माता-पिता भी बच्चों की हरकतों और उनके व्यवहार पर नजर रखें।
इन घटनाओं ने न सिर्फ देश को हिला दिया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या मौजूदा Juvenile Justice System आज की जमीनी हकीकतों से मेल खाता है? क्या एक 15-16 साल का लड़का जो हत्या की योजना बनाकर वारदात को अंजाम देता है, उसे बालक माना जाए?