भारतीय सेना को लेकर की गई एक कथित विवादित टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिल गई है। अदालत ने लखनऊ की ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि “एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा” जैसा बयान देशहित में नहीं माना जा सकता।
यह विवाद दिसंबर 2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए एक बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि “चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं” और भारतीय प्रेस तथा सत्ता पक्ष इसके बारे में कुछ नहीं बोल रहे।
सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद में इस विषय को क्यों नहीं उठाया गया और केवल सोशल मीडिया या प्रेस में बयान क्यों दिया गया।? आपको कैसे पता चला कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्ज़ा किया? इसकी विश्वसनीय जानकारी क्या है? अगर आप सच्चे भारतीय हैं, तो ऐसा बयान नहीं देना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास भले ही अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता है, लेकिन यह क्यों कहा. आप एक जिम्मेदार नेता हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता के तौर पर वह यह सब नहीं कह सकते, तो इसका क्या नतीजा निकलेगा?
हाईकोर्ट की याचिका खारिज, अब सुप्रीम कोर्ट में नोटिस
इस बयान को लेकर उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत ने राहुल गांधी को समन जारी किया था। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर समन रद्द करने की मांग की, जिसे खारिज कर दिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में जवाब माँगा है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया और बचाव
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी का पक्ष रखते हुए कहा कि विपक्ष के नेता के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वे सरकार से जवाब माँगें। उन्होंने अदालत में दलील दी कि “एक विपक्षी नेता के तौर पर यह जरूरी नहीं कि हर बात संसद में ही कही जाए।”
राहुल गांधी का बयान क्या था?
राहुल गांधी ने कहा था “लोग मुझसे भारत जोड़ो यात्रा में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के झगड़े के बारे में पूछते हैं, लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्ज़ा किया या हमारे सैनिकों को पीटा गया। प्रेस और सत्ता पक्ष दोनों चुप हैं।”















