Congress Press Conference :
चुनाव आयोग के प्रेस कॉन्फ्रेंस और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के द्वारा विपक्ष पर आरोप लगाने के बाद सोमवार को कई विपक्षी पार्टियां इसका जवाब देने के लिए मैदान में उतर गई। दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) पर कई आरोप लगाए। विपक्षी पार्टियों ने कहा कि चुनाव आयोग ऐसे अधिकारियों के हाथ में है, जो निष्पक्ष नहीं हैं। तो वही आज कांग्रेस ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर कई आरोप लगाये और उनसे कई मुद्दों पर जवाब भी माँगा ।
‘अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा चुनाव आयोग’ : गौरव गोगोई
कांग्रेस संसद गौरव गोगोई ने अपने प्रेस कांफ्रेंस शुरू करते ही कहा कि आज के इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा कि वोट देने का अधिकार संविधान के द्वारा दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है हमारा लोकतंत्र आम लोगों के ‘वोट देने के अधिकार’ पर ही निर्भर है। इस अधिकार का संरक्षण केंद्रीय चुनाव आयोग का है। लेकिन जब देश के राजनीतिक दल, चुनाव आयोग से महत्वपूर्ण सवाल पूछ रहे हैं, तो चुनाव आयोग जवाब नहीं दे पा रहा है। चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के सामने चुनाव आयोग ने जितनी भी बातें रखी, कोर्ट ने उन सब सभी को नकार दिया। इसके बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस वार्ता (Press Conference) की। इस कांफ्रेंस में उन्हें चुनाव आयोग की कमजोरी बतानी थी और विपक्ष के जायज सवालों के जवाब देने थे लेकिन जवाब देने के विपरीत, चुनाव आयुक्त ने राजनीतिक दलों पर ही सवाल उठाए, उनके ऊपर आक्रमण किया।
गौरव गोगोई ने चुनाव आयुक्त से पूछे कई सवाल
गौरव गोगोई ने चुनाव आयुक्त से कई सवाल पूछे उन्होंने कहा CEC को विपक्ष के जायज सवालों का जवाब देना था कि
⦁ SIR की प्रक्रिया इतनी हड़बड़ी में क्यों लाई गई?
⦁ जब चुनाव सिर्फ 3 महीने बाद है, ऐसे में बिना विपक्षी दलों से चर्चा किए SIR लाने का क्या कारण था?
⦁ महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा के बीच बड़ी संख्या में वोटर कहां से आ गए?
⦁ ये निर्णय क्यों लिया गया कि पोलिंग बूथ के CCTV फुटेज को 45 दिनों में डिलीट कर दिया जाएगा?
⦁ महादेवापुरा में 1 लाख फर्जी वोटर कहां से आए?
⦁ आखिर कैसे मशीन रीडेबल इलेक्टोरल वोट प्राइवेसी का उल्लंघन हैं?
⦁ बिहार के 65 लाख मतदाताओं के नाम आखिर क्यों काटे गए, वे इसका कारण एक सर्चेबल फॉर्मेट में क्यों नहीं दे पाए?
⦁ आखिर क्यों वे वोटर आईडी के लिए आधार के खिलाफ थे?
प्रेस वार्ता में चुनाव आयोग ने एक निष्पक्ष चुनाव करवाने की अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरीके से नकार दिया। ये साफ हो चुका है कि चुनाव आयोग कुछ ऐसे अधिकारियों के कब्जे में है, जो किसी एक पार्टी का पक्ष लेते हैं। चुनाव आयोग को लगता है कि वो बड़ी-बड़ी बातें करके राजनीतिक दलों को डरा देंगे। हम उनसे इतना ही कहना चाहते हैं कि अफसर आएंगे-जाएंगे, लेकिन सदन हमेशा रहेगा और उनकी कार्रवाई की गवाही देगा। हम उन पर नजर रखेंगे और आने वाले समय में उचित कदम ऊठाएंगे।