नई दिल्ली: Monetization: केंद्र की मोदी सरकार ने मौद्रिकरण के लिए कुल 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री रेलगाड़ियों, रेलवे के कई खेल स्टेडियम और कॉलोनियों के साथ ही प्रसिद्ध कोंकण और पहाड़ी रेलवे की पहचान की है। इसके साथ ही सरकार ने कोंकण और कुछ अन्य पहाड़ी इलाक़ों की रेलों का निजीकरण करने का एलान किया है।
यह भी पढ़ें- Punjab Congress Crisis: कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व में ही लड़ेंगे चुनाव, नही होगा CM के चेहरे का बदलाव
Monetization: अवसंरचना संपत्तियों का मौद्रिकरण
वित्त वर्ष 2025 तक चार वर्षों में रेलवे की ब्राउनफील्ड अवसंरचना संपत्तियों का मौद्रिकरण कर 1.52 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि हासिल की जाएगी। ब्राउनफील्ड संपत्तियों से आशय ऐसी अवसंरचनाओं से है, जो फिलहाल उपयोग में नहीं हैं और उन्हें विकसित किया जाना है।
निजीकरण की जगह इस्तेमाल करना पसंद
सरकार सावधानी बरतते हुए अपने किसी भी एलान में निजीकरण शब्द का प्रयोग न करते हुए इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप कहती है। सरकार के अनुसार रेलवे की ख़ाली पड़ी ज़मीनों, कालोनियों, स्टेडियम और ट्रेनों को निजी हाथों में डेवलपमेंट के लिए दिया जाएगा। इससे प्राईवेट पार्टनर निवेश करेंगे और बीस वर्ष से ले कर नब्बे वर्ष तक वो अपना मुनाफ़ा कमाएँगे। लेकिन मालिकाना हक़ सरकार का ही बना रहेगा इससे रेलवे का तेज़ी से विकास सम्भव हो सकेगा, इस मामले में सरकार का प्रिय शब्द मॉनेटाईजेशन है जिसे वो निजीकरण की जगह इस्तेमाल करना पसंद करती है।
संपत्तियों के मौद्रिकरण के बारे में
छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) के तहत अगले चार वर्षों में 12,828 करोड़ रुपये की जहाजरानी संपत्ति का मौद्रिकरण किया जाएगा। इस मौद्रिकरण में भूमि की बिक्री शामिल नहीं है और यह मौजूदा संपत्तियों के मौद्रिकरण के बारे में है। जहाजरानी संपत्ति मौद्रिकरण परियोजनाओं को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा और इसके लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का इस्तेमाल किया जा सकता है।