Assam Muslim Marriage Act Repeal : असम की हिमंत सरमा सरकार ने मुस्लिमों द्वारा विवाह और तलाक के पंजीकरण से जुड़े 89 वर्ष पुराने कानून को रद्द कर दिया है। इस फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के ऐसे फैसले असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की एक कोशिश है।
एसटी हसन ने क्या कहा?
हसन ने कहा कि सरकार कानूनों में बदलाव कर रही है। किंतु, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। मुसलमान शरिया और कुरान के हिसाब से ही चलेगा। हम हजारों वर्षों से इन कानूनों को मानते आ रहे हैं और आगे भी मानते रहेंगे। सपा नेता हसन ने कहा कि आप कानूनों में बदलाव करके यह नहीं कह सकते कि हिंदू शवों को जलाने की जगह दफनाना शुरू कर दे या मुसलमान निकाह की जगह कुछ और तरीका अपना ले। सभी धर्मों के अपनी-अपनी परम्पराएं हैं। यह साफ़-साफ़ लोगों के धार्मिक अधिकारों में दखल है।
#Watch: असम सरकार द्वारा असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने पर सपा सांसद एस.टी. हसन का बड़ा बयान, ‘मुसलमान सिर्फ़ शरीयत और कुरान से चलेगा’#AssamGovernment #MuslimMarriageAct #STHASAN #SamajwadiParty #JantantraTv pic.twitter.com/X9NZShFuil
— Jantantra Tv (@JantantraTv) February 24, 2024
इस अधिनियम में क्या प्रावधान था?
सनद रहे कि असम सरकार की कैबिनेट बैठक में मुसलमानों द्वारा विवाह और तलाक के पंजीकरण से जुड़े 89 साल पुराने कानून को रद्द करने का फैसला किया गया था। इस अधिनियम में मुस्लिम विवाह और तलाक के स्वैच्छिक पंजीकरण का प्रावधान था और सरकार को एक मुस्लिम व्यक्ति को ऐसे पंजीकरण के लिए आवेदन पर मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करने के लिए अधिकृत करने वाला लाइसेंस प्रदान करना होता था।
जयंत मल्ला बरुआ ने क्या बताया?
पर्यटन मंत्री जयंत बरुआ ने कहा कि आज के इस फैसले के बाद असम में अब इस कानून के तहत मुस्लिम विवाह और तलाक को पंजीकृत करना संभव नहीं होगा। हमारे पास पहले से ही एक विशेष विवाह अधिनियम है और हम चाहते हैं कि सभी विवाह इसके प्रावधानों के तहत पंजीकृत हों। मंत्री जयंत मल्ला बरुआ ने बताया कि असम में वर्तमान में 94 अधिकृत व्यक्ति हैं जो मुस्लिम विवाह और तलाक का पंजीकरण कर सकते हैं। किंतु, कैबिनेट के फैसले के साथ, जिला अधिकारियों द्वारा इसके लिए निर्देश जारी करने के बाद उनका अधिकार समाप्त हो जाएगा।
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