जनतंत्र डेस्क, कुशीनगर: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं। गुरुवार को यूपी चुनाव के छठे चरण में 10 जिलों की 57 सीटों पर मतदान हो रहे हैं। इनमें कुशीनगर भी एक है जहां चुनाव हो रहे हैं। तमाम पार्टियों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए। लेकिन कुशीनगर में महिलाओं और पुरुषों को रोजगार दे रहे हैं रवि प्रसाद। जो केले के पत्तों के रेशे से हैंडीक्राफ्ट और अन्य उत्पाद बनाकर लोगों को आत्मनिर्भर बना रहे हैं।
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कुशीनगर की महिलाएं आज कल हस्तशिल्प उत्पाद बनाने में व्यस्त हैं। पूजा देवी फूलदान बनाती हैं तो 35 वर्षीय मनोरमा रस्सी बना रही है दूसरी ओर मंजू देवी चप्पल बना रही हैं। गांव की महिलाएं और पुरुष केले के पत्तों के फाइबर से गुलदस्ते, चप्पल, कालीन बनाकर अपनी अजीविका चला रहे हैं। ये काम शुरू करने वाले रवि प्रसाद का कहना है उन्होंने इसकी शुरूआत 2018 में की थी और अब तक जिले की 550 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।
हर दिन कमाती हैं 300 रूपए
महिलाओं का कहना है कि इस पेशे से 300 रुपये दैनिक वेतन और 5,000 रुपये मासिक आय प्राप्त हो जाती है। महिलाओं को कहना है कि इस काम के जरिए वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन रही हैं। साथ ही आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। इन पैसों से वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रही हैं। तो कुछ महिलाएं भविष्य के लिए बजत कर रही हैं।
कुशीनगर को मिला ODOP का दर्जा
कुशीनगर में प्लांट से केले के रेशे की निकासी और हस्तशिल्प बनाने में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) का दर्जा मिला है। इसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आदिवासी कला और शिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने और पुनर्जीवित करने के लिए पेश किया गया था।
रवी प्रसाद का कहना है कि यह योजना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को उन उत्पादों का उत्पादन और प्रचार करने में मदद करेगी। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि यह प्रारंभिक स्तर पर है, ओडीओपी के तहत आने वाले क्लस्टर का गठन होना बाकी है।
केरल से ली प्रेरणा
कुशीनगर के गांवों में इस कला को जीवंत करने वाले रवि प्रसाद कुशीनगर जिले के हरिहरपुर गांव से हैं। रवि प्रसाद एक बार केरल गए थे जहां उन्होंने केले के पौधे की उपयोगिता देखी। उन्होंने वहीं से प्रशिक्षण प्राप्त किया और फिर कुशीनगर में केले के रेशे से हस्तशिल्प उत्पादों का उत्पादन शुरू किया। उन्होंने मशीन और कार्यशील पूंजी खरीदने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 5 लाख रुपये का कर्ज लिया।
इस काम में पुरुष पौधे को काटते हैं, उन्हें ट्रॉलियों में डालते हैं और फिर केले के रेशे निकालते हैं। जबकि महिलाएं इनसे तरह तरह के उत्पाद बनाती हैं। रवि प्रसाद ने बताया कि इन उत्पादों का ऑर्डर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और संपर्कों के माध्यम से आता है।