Waqf Act Supreme Court Hearing : वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 से ज्यादा याचिकाओं पर आज, गुरूवार, 17 अप्रेल को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यह कानून 8 अप्रैल, 2025 से लागू हुआ था। इस कानून के लागू होने के बाद कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुआ। विपक्षी दलों, मुस्लिम संगठनों और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसे “मुस्लिम विरोधी” और “असंवैधानिक” कहकर चुनौती दी है।
सुनवाई के पहले दिन 16 अप्रैल को हुई सुनवाई में कई अहम टिप्पणियां हुईं। पहली सुनवाई के दौरान कोर्ट में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए।
केंद्र सरकार ने मांगा एक हफ्ते की समय
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा, “मैं आपसे बहुत सम्मान के साथ कुछ कहना चाहता हूं। आप उस कानून को रोक रहे हैं, जिसे संसद द्वारा पास किया गया है। मैं देश के सॉलिसिटर जनरल के तौर पर बहुत जिम्मेदारी से ये बात कह रहा हूं। मैंने कोर्ट की सभी बातों पर गौर से ध्यान दिया है। लेकिन सिर्फ कुछ सेक्शन देखकर आप पूरे कानून को रोक नहीं सकते हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आगे कहा कि “इस कानून को बनाने से पहले लाखों लोगों से बात की गई है। हम सभी जनता के प्रति जवाबदेह हैं। वक्फ बोर्ड ने कई गांवों की जमीन पर भी अपना दावा किया है। आम लोगों के हितों का भी ध्यान रखना ज़रूरी है। मैं आपसे निवेदन करता हूं कि मुझे एक हफ्ते का समय दिया जाए। ताकि मैं आपकों विस्तार से बता सकूं कि ये कानून क्यों बनाया गया है।”
“जमीनी हालातों में कुछ बदलाव हों” – CJI
इस पर CJI (मुख्य न्यायाधीश) ने कहा, “हम आपकी बात जरूर सुनेंगे, लेकिन हम चाहते हैं कि जमीनी हालातों में कुछ बदलाव हों। फिलहाल जो स्थिति पहले जैसी थी, वही बनी रहनी चाहिए. हम अभी दो बातों पर ज़ोर दे रहे हैं।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने इस पर जवाब दिया कि अभी मैं कानून की गहराई में नहीं जा रहा हूं। लेकिन मैं आपकों भरोसा दे रहा हूं कि एक हफ्ते में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा।
5 याचिकाएं ही रखी जाएं
CJI ने कहा कि मैं चाहता हूं कि याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सिर्फ 5 याचिकाएं ही रखी जाएं। क्योंकि सभी याचिकाओं को सुनना नामुमकिन है। आप लोग 1 दिन में फैसला करके बताएं कि कौन-कौन सी याचिकाएं रहेंगी। बाकि याचिकाओं को निरस्त मान लिया जाएगा।
5 मई को होगी अगली सुनवाई
बता दें कि CJI ने कहा कि “केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड एक हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करें। 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं अगली सुनवाई की लिस्ट में अलग से लगवाई जाएगी। ताकि उन्हें अलग से सुना जा सके।” इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 5 मई को करेगा।
एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा का बयान
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर एडवोकेट बरुण कुमार सिन्हा ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। भारत के सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि नए संशोधन अधिनियम के तहत परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि सरकार अगली तारीख तक उन संपत्तियों (वक्फ-बाय-यूजर) को डी-नोटिफाई नहीं करेगी जो रजिस्टर्ड और गजटेड हैं। हालांकि, सरकार अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। केंद्र ने कोर्ट से कहा कि आप संसद द्वारा पारित कानून पर रोक नहीं लगा सकते और केंद्र रोजाना सुनवाई के लिए तैयार है। इस मुद्दे को 5 मई के लिए सूचीबद्ध किया गया है, और उसी दिन सुनवाई शुरू होगी।”
“हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी” – ओवैसी
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट की सुनवाई पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “हम इस एक्ट को असंवैधानिक मानते हैं। कोर्ट ने कहा है कि सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ काउंसिल का गठन नहीं किया जाएगा और ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाया नहीं जा सकता। जेपीसी की चर्चा के दौरान मैंने सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों का विरोध करते हुए एक रिपोर्ट दी थी और बिल पर बहस के दौरान मैंने बिल को असंवैधानिक बताया था। इस एक्ट के खिलाफ हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।”