पाकिस्तान की वायु सेना (PAF) ने हाल ही में खैबर पख्तूनख्वा के तिराह और मत्रे दारा इलाके में हवाई हमले किए हैं। स्थानीय सूत्रों और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़, इस कार्रवाई में JF-17 लड़ाकू विमानों से LS-6 बम गिराए गए। आधी रात के क़रीब हुए इस हमले के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई और कई मकानों को गंभीर क्षति पहुँची। इस तरह के हवाई हमले पाकिस्तान के भीतर बेहद दुर्लभ माने जाते हैं, जिससे घटना ने सबका ध्यान खींचा है।
इन हमलों में 20 से 30 लोगों के मारे जाने की खबरें सामने आ रही हैं, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और ज़मीन पर तबाही के दृश्य साफ़ नज़र आ रहे हैं। शुरुआती रिपोर्टों में मृतकों की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं, लेकिन नागरिकों की मौत और तबाही की पुष्टि कई स्थानीय स्रोतों ने की है।
पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के लिए की गई थी। उनके अनुसार, तिराह क्षेत्र में मौजूद टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) से जुड़े आतंकी गुट हथियार और विस्फोटक जमा कर रहे थे। इसीलिए वायु सेना ने ऑपरेशन चलाकर उन्हें खत्म करने का प्रयास किया। हालांकि, इस आधिकारिक दावे के बावजूद नागरिक हताहतों की खबरों ने सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दूसरी ओर, विपक्षी दलों और स्थानीय संगठनों ने इस हमले को लेकर कड़ी आलोचना की है। उनका आरोप है कि आतंकवादियों के नाम पर निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया गया है। इस घटना के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक विवाद तेज़ हो गया है और संसद तथा मीडिया में सरकार से जवाबदेही की माँग उठ रही है। साथ ही, क्षेत्रीय स्थिरता और आंतरिक सुरक्षा पर इसके असर को लेकर भी चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।
कुल मिलाकर, तिराह/मत्रे दारा इलाके पर पाकिस्तान की वायु सेना का यह हवाई हमला सिर्फ़ सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक और मानवीय संकट भी बन गया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस पर पारदर्शी जाँच करवाएगी और नागरिकों की मौत पर ज़िम्मेदारी तय करेगी, या इसे सिर्फ़ आतंकवाद विरोधी कार्रवाई कहकर आगे बढ़ जाएगी। इस घटना ने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा नीति और नागरिक सुरक्षा को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।