11 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर के मुख्य वित्तीय अधिकारी ( CFO) और कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार पाल को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली कोर्ट ने उन्हें 2 दिन की ED कस्टडी दी। ED के द्वारा ये कार्रवाई ₹17,000 करोड़ के बैंक लोन फ्रॉड के मामले में की गई, जिसमें फर्जी बैंक गारंटी, फर्जी इनवॉयस और पैसे का गबन शामिल है। अनिल अंबानी इन दिनों कई तरह की वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में अशोक पाल की गिरफ्तारी कंपनी के लिए एक और झटका साबित हो सकता है।
बता दें कि हाल ही के दिनों में ED ने अनिल को पूछताछ के लिए बुलाया था। 2018-19 में विपक्ष खासकर कांग्रेस ने अनिल अंबानी के खिलाफ मोदी सरकार के पुराने “क्रोनी कैपिटलिज्म” जैसे राफेल डील में कथित फायदा पहुंचने के आरोप लगाए थे. विपक्ष का दावा था कि मोदी सरकार ने HAL (सार्वजनिक क्षेत्र) को दरकिनार कर अनिल की अनुभवहीन रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर बनाया, जिससे ₹58,000 करोड़ का सौदा प्रभावित हुआ। कांग्रेस ने हाल ही में (जुलाई 2025) फिर कहा कि SBI ने RCom को फ्रॉड घोषित किया, लेकिन मोदी सरकार अनिल पर “मेहरबान” बनी हुई है। अब ED और CBI जैसी एजेंसियां (मोदी सरकार के अधीन) अनिल के ग्रुप पर सख्ती बरत रही हैं। ED को शुरुआती जांच में यह पता चला है कि ये धनराशि रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों को वापस भेज दी गई, जिससे “सर्कुलर लेंडिंग” की चिंताएँ बढ़ गई हैं।
ईडी ने कहा कि यस बैंक के राणा कपूर ने ऐसे लोन को मंजूरी देने में अहम भूमिका निभाई थी। ईडी ने यह भी बताया कि उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों RAB एंटरप्राइजेज, इमेजिन एस्टेट्स और ब्लिस हाउस को भी लोन की सुविधाएं दी गईं थीं। वहीं ग्रांट थॉर्नटन की ओर से किए गए एक ऑडिट में बड़े पैमाने पर धन के दुरुपयोग और लोन नीतियों के उल्लंघन का पता चला है। अब तक, ईडी ने 60 कंपनियों और 22 व्यक्तियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। ईडी की अभी भी जांच पड़ताल जारी है. इसी वर्ष जून में, भारतीय स्टेट बैंक ने रिलायंस कम्युनिकेशंस और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी के खाते को ‘धोखाधड़ी’ घोषित कर दिया। इसकी जानकारी भारतीय रिज़र्व बैंक को भी दी गई. इसके बाद सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई। तब से, जाँचकर्ताओं ने शेल कंपनियों के एक नेटवर्क के ज़रिए सार्वजनिक धन के संदिग्ध दुरुपयोग की बड़े पैमाने पर जांच पड़ताल की। इस जांच के तहत मुंबई और दिल्ली स्थित समूह के कार्यालयों से दस्तावेज़ और डिजिटल रिकॉर्ड ज़ब्त किए हैं।
गौरतलब है कि जिस तरह विपक्ष अनिल अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाने के दावे कर रहा था लेकिन जिस तरह ED और सीबीआई जैसी एजेंसियां जो कि (मोदी सरकार के अधीन) है अनिल अंबानी की कंपनियों पर सख्ती बरत रही हैं, यह विपक्ष के पुराने दावों का उल्ट सा लग सकता है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह “रणनीतिक दिखावा” भी हो सकता है, क्योंकि अनिल अंबानी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया. हा CFO की गिरफ्तारी से साफ है कि ED अनिल अंबानी तक पहुंच रही है। अनिल अंबानी ने कहा कि वे निर्दोष हैं और कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।