दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती कुत्ता काटने की घटनाएं, रैबीज़ ख़ासकर बच्चों में और सार्वजनिक सुरक्षा की चिंताओं को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को एक अहम निर्देश जारी किया कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़ कर शेल्टर होम में स्थानांधित किया जाए और उन्हें सार्वजनिक जगहों पर छोड़ा न जाए। इस दिशा निर्देश में कहा गया कि यदि कोई इसे रोकने की कोशिश करेगा तो उसके विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई होगी।
हालांकि, इस निर्देश ने पशु कल्याण समूहों, कार्यकर्ताओं और नागरिकों की ओर से एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया को जन्म दिया, जिन्होंने तर्क दिया कि इस क्षेत्र में आवारा पशुओं की इतनी बड़ी आबादी को रखने के लिए पर्याप्त आश्रय बुनियादी ढांचे का अभाव है।
कई लोगों ने इस कदम की भी आलोचना की और कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के 2024 के फैसले के खिलाफ है, जिसमें आवारा पशुओं के अधिकारों को बरकरार रखा गया था और संवैधानिक मूल्यों के रूप में करुणा और सह-अस्तित्व पर जोर दिया गया था।
हालांकि इस फैसले से पहले MCD और नगर निगमों को आठ सप्ताह के भीतर पर्याप्त शेल्टर्स बनाने और वहां कुत्तों को ले जाने के निर्देश भी दिए गए थे। इसके बाद यह मामला पैनल द्वारा फिर से जांचने के लिए सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय बेंच के पास भेजा गया
आज आएगा अहम फैसला
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों की व्यापक बहस और विरोध के बीच, सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों को स्थानांतरित करने के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ यह फैसला सुनाएगी।
यह मामला न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ के पिछले निर्देश से संबंधित है, जिसमें दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद में नगर निकायों को सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग शेल्टर होम में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था।