इस बार मतदाता भागीदारी काफी ऊँची रही है। राज्य में मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में स्पष्ट बढ़ोतरी दिखा रहा है, जो दर्शाता है कि जनता इस चुनाव में अधिक सक्रिय है और बदलाव की उम्मीद अधिक है। इस तरह की भागीदारी दलों-गठबंधनों के लिए बड़े अवसर के साथ-साथ चुनौतियाँ भी लेकर आई है।
मतदान के बाद सामने आए एग्जिट-पोल और अनुमान इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन है, वह अभी तक बढ़त में दिख रहा है। प्रमुख गठबंधन Janata Dal (United)-Bharatiya Janata Party-आधारित गठबंधन (एनडीए) को अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में माना जा रहा है, जबकि विपक्षी गठबंधन Rashtriya Janata Dal-Indian National Congress-आधारित महागठबंधन को उम्मीद के अनुरूप बढ़त नहीं मिलती दिख रही है।
, मतदाता समूहों और क्षेत्र-वार झुकाव में भी दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहे हैं। युवा वोटर्स, पहली बार वोट देने वाले और उन क्षेत्रों में जहां रोजगार-मुद्दे हैं, वहाँ उम्मीद है कि विरोधी गठबंधन को समर्थन मिल सकता था, लेकिन वास्तविकता में निर्वाचन-रुझान यह दिखा रहे हैं कि जन-कल्याण, सरकार-प्रदर्शन तथा स्थानीय नेतृत्व के आधार पर एनडीए को मजबूत माना जा रहा है। दूसरी ओर, छोटे दल या तीसरे मोर्चों की भूमिका सीमित नजर आ रही है, जिससे चुनाव essentially दो मुख्य ब्लाक के बीच लड़ाई जैसा बना हुआ है।
इन सभी संकेतों को मिलाकर देखें तो यह कहा जा सकता है कि यदि ये रुझान बने रहते हैं, तो एनडीए को सत्ता में दोबारा आने का अच्छा मौका दिख रहा है। हालांकि, यह अंतिम परिणाम नहीं है — चुनाव अभी पूरी तरह फाइनल नहीं हुआ है और मत-गणना, सीट-परिणाम साथ-साथ खुलेगा। इसलिए इन रुझानों को एक संकेत की तरह लेना उचित है, न कि सुनिश्चित भविष्यवाणी के रूप में।















