मध्य प्रदेश और राजस्थान में 12 बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है…खांसी का सिरप, जो बच्चों को राहत देने के लिए बनाया गया था, वही ज़िंदगी लेने की वजह बन गया…तो वहीं अब तमिलनाडु सरकार ने इस पर बैन लगा दिया है, और केंद्र सरकार ने भी चेतावनी जारी कर दी है…स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ़ कहा है कि दो साल से छोटे बच्चों को खांसी की कोई दवा बिल्कुल न दें…हम आपको दिखाएंगे वो पूरी रिपोर्ट जिसने सरकार को अलर्ट किया, और देशभर में दहशत मचा दी |
खांसी,एक ऐसी आम लगने वाली बीमारी, जो अगर वक्त रहते समझी न जाए तो बड़ी परेशानी बन सकती है…जिसको ठीक करने के लिए लोग क्या करते है कप सिरप पीते है…लेकिन कप सिरप हमेशा से ही विवादों में रहा है…कई कप सिरप बैन भी किए गए,क्योकि जब भी कप सिरप की बात होती है तो वो सब याद आता है कि लोग इसका इस्तेमाल नशे के तौर पर करते है…तो कई बार ये भी खबरे सामने आई कि प्ले स्कूलस में बच्चों को कप सिरप पिला दिया जाता था | ताकि वो नशे में सोते रहे…जो कि शायद आज भी हो रहा है…लेकिन वहीं अब एक ऐसी खबर आई है जिसने पूरे देश को झकझोर दिया है…खांसी की साधारण बीमारी के उपचार में दी गई कफ सिरप ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों पर कहर ढा दिया है…दोनों राज्यों में एक दर्जन बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर स्वास्थ्य अधिकारियों को कहा है कि दो साल के बच्चों को खांसी की दवा न दें। वहीं तमिलनाडु में 1 अक्टूबर से शहर स्थित कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप की बिक्री पूरे तमिलनाडु में प्रतिबंधित कर दी गई है |
हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं के सेंपल की जांच रिपोर्ट के आधार पर माना है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकोल (DEG) या एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे घातक रसायन मौजूद नहीं हैं…ये दोनों रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं जबकि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने के कारण ही बच्चों की मौत हुई है |
जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी जारी कर दी है…इस एडवाइजरी में कहा गया है:-
स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी
⦁ दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी/सर्दी की दवा न दी जाए। बच्चों में खांसी-जुकाम आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं, ऐसे में आराम, हाइड्रेशन और सहायक उपचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
⦁ सामान्यतया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवाओं का उपयोग नहीं किया जाए।
⦁ बड़ी उम्र के बच्चों में भी दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर समुचित खुराक ही दी जाए।
⦁ एक साथ कई दवाओं के कॉम्बिनेशन से बचा जाए और दवा कम से कम अवधि तक दी जाए।
⦁ सभी स्वास्थ्य संस्थाएं केवल प्रमाणित गुणवत्ता वाली दवाएं ही खरीदें।
हालांकी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कि बच्चों की मौत का वास्तविक कारण जानने के लिए NCDC, NIV, ICMR, AIIMS नागपुर और राज्यों के स्वास्थ्य प्राधिकारियों की टीम जांच कर रही है,
बताया जा रहा है कि सभी बच्चों की उम्र 5 वर्ष से कम है…मृत बच्चों के घर से कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस-डीएस सिरप मिले आइसीएमआर और स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने इनकी बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई तथा मेडिकल स्टोर्स से स्टॉक जब्त कर सील कराया…डॉक्टर ने उन्हें वही कफ सिरप लिखा था जिसे बाद में प्रशासन ने प्रतिबंधित कर दिया |
मध्यप्रदेश में कफ सिरप लेने के बाद किडनी फेल होने से बच्चों की मौत के बाद दवा सेंपल की लेबारेटरी जांच को लेकर विरोधाभास सामने आ रहा है…केंद्र सरकार ने कहा है कि मध्यप्रदेश में मरने वाले बच्चों के पास मिली दवा के सेंपल की जांच में प्रतिबंधित घातक रसायन डीईजी/ईजी की पुष्टि नहीं हुई है…उधर, छिंदवाड़ा के सीएमचओ डॉ.धीरज दवंडे ने कहा कि दवाओं के सेंपल की जांच रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है |
सिरप जयपुर की केयसंस फार्मा ने की थी सप्लाई
सिरप जयपुर की केयसंस फार्मा ने सप्लाई की थी। इससे पहले राज्य सरकार प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी कर कह चुकी है कि डॉक्टरों की सलाह के बिना वयस्कों की दवा बच्चों को दी गई थी। राजस्थान में मौतों के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दवा डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन आधारित पाई गई, जो बच्चों के लिए प्रस्तावित नहीं है।
बच्चों के लिए प्रतिबंधित लेकिन दवा को क्लीन चिट
राज्य सरकार की नि:शुल्क दवा योजना में सप्लाई की गई डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन कफ सिरप को राज्य सरकार ने जांच के बाद शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी है। हालांकि यह सिरप बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं है। सीकर और भरतपुर के तीन बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने कंपनी की ओर से आपूर्ति की गई दवा के सैंपलों की जांच करवाई थी। जिसमें दूषित होने व डीईजी, ईजी का संभावित स्रोत हानिकारक प्रोपाइलीन ग्लाइकोल नहीं पाया गया।