राज्यसभा (RajyaSabha) में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S Jaishankar) ने चर्चा की शुरूआत की इस दौरान उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाए इस पर अपनी बात रखी और ये भी बताया कि सिंधु-जल संधि (Indus Waters Treaty) कब तक स्थगित रहेगी।
विदेश मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल पूछा कि जब पाकिस्तान से न हमारी दोस्ती थी और न गुडविल, तो सिंधु समझौता क्यों हुआ? उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार के सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के फैसले को सबसे महत्वपूर्ण कदम बताया और कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि ऐसे सिंधु जल समझौते की जरूरत क्या थी? इनको पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के किसानों की चिंता नहीं थी। इनको पाकिस्तान के पंजाब के किसानों की चिंता थी।
‘खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे…’
राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) पर चर्चा के दौरान सिंधु जल संधि पर बोलते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने साफ किया कि ‘सिंधु-जल संधि’ तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह बंद नहीं कर देता। उन्होंने कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बहेंगे।
एस जयशंकर ने अपनी बात करते हुए कहा, “सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है।”
‘पाकिस्तानी को जवाब देते रहेंगे’
विदेश मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते हुए राज्यसभा में बताया कि जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ, तो कई देश यह जानने के लिए हमसे संपर्क में थे कि ऑपरेशन सिंदूर कब कब तक चलेगा और वर्तमान की स्थिति कितनी गंभीर है? हमने उस समय सभी देशों को एक ही मैसेज दिया कि हम किसी भी प्रकार से मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता केवल द्विपक्षीय होगा और हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं, और हम जवाब देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है, तो पाकिस्तान को अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ ( DGMO) के माध्यम से ही आ सकता है। इसके साथ ही विदेश मंत्री ने बताया कि SAARC फ्रेमवर्क के तहत पाकिस्तान को दिए गए वीजा भी रद्द कर दिए गए हैं। यानी अब SAARC के किसी भी कार्यक्रम में पाकिस्तान की सहभागिता भारत की सहमति पर निर्भर करेगी।
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पीएम मोदी और ट्रंप की फोन पर बातचीत वाले आरोप पर भी विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राज्यसभा में खुलकर जवाब दिया. उन्होंने कांग्रेस सांसद जयराम रमेश से मुखातिब होते हुए कहा मैं उनको कहना चाहता हूं, वो कान खोलकर सुन ले… 22 अप्रैल से 16 जून तक पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच उस दौरान एक भी फोन कॉल नहीं हुआ था।
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