नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तीखे बयान ने देश में राजनीतिक हलचल तेज़ कर दी है। इस बार कांग्रेस के भीतर भी सुर अलग-अलग हैं। जहां राहुल गांधी ने ट्रंप की बातों को सही ठहराया, वहीं सांसद शशि थरूर ने खुलकर असहमति जताई और पार्टी लाइन से अलग राय रखी।
शशि थरूर बोले -“हम सब जानते हैं, ऐसा नहीं है”
ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को “डेड इकॉनमी” बताया था और रूस से तेल खरीदने पर भारत पर 25% टैरिफ और जुर्माना लगाने की बात कही थी। इस पर कांग्रेस नेता थरूर ने दो टूक कहा — “हम सब जानते हैं कि ऐसा नहीं है। यह बस एक ‘सौदेबाज़ी की रणनीति’ है क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता चल रही है।”
थरूर का तर्क – ज़िम्मेदारी से करनी होगी बातचीत
थरूर ने कहा कि भारत को अपने वार्ताकारों को पूरी मज़बूती से समर्थन देना चाहिए ताकि वे सबसे अच्छा सौदा कर सकें। उन्होंने चेताया कि अगर अमेरिका 25% टैक्स और जुर्माना बढ़ाकर 100% तक ले गया, तो भारत–अमेरिका व्यापार संबंध बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
कांग्रेस में फिर दिखी विचारों की दूरी
यह कोई पहली बार नहीं है जब थरूर पार्टी लाइन से अलग बोले हों। इससे पहले वे ऑपरेशन सिंदूर और प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति पर भी सकारात्मक टिप्पणियां कर चुके हैं। इस बार भी राहुल गांधी के ट्रंप के समर्थन में दिए बयान के उलट थरूर ने साफ विरोध जताया।
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ट्रंप के बयान को सही ठहराते हुए कहा था कि “मोदी सरकार ने देश की इकॉनमी को वाकई डेड बना दिया है। आज जो आर्थिक संकट है, वह सरकार की ग़लत आर्थिक, रक्षा और विदेश नीति का नतीजा है।”
क्या यह अलग-अलग राय कांग्रेस की रणनीति है या फूट का संकेत?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर इस तरह की लगातार मतभिन्नता उसके संदेश और नीति को कमजोर करती है। वहीं पार्टी समर्थकों का तर्क है कि यह लोकतांत्रिक सोच का उदाहरण है।