दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के छात्रसंघ चुनाव हमेशा से देशभर के युवाओं के लिए राजनीतिक महत्व रखते हैं। इन्हें राष्ट्रीय राजनीति का छोटा मॉडल कहा जाता है क्योंकि यहां से निकलने वाले कई छात्र नेता आगे चलकर बड़े राजनीतिक पदों तक पहुंचे हैं। इस बार सितंबर 2025 में होने वाले चुनाव कई बदलावों के कारण सुर्खियों में हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने नए नियमों और दिशानिर्देशों की घोषणा की है, जिससे चुनावी माहौल पूरी तरह बदल गया है।
एक लाख के बॉन्ड को लेकर हाईकोर्ट में दायर की याचिका
इस बार छात्रों को नामांकन के लिए एक लाख रुपये का बांड भरना होगा। पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इस शर्त के खिलाफ छात्र संगठनों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) का कहना है कि यह नियम आम छात्रों के लिए बाधा है, क्योंकि सभी उम्मीदवार इतनी बड़ी राशि का इंतजाम नहीं कर सकते। हालांकि, अदालत ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं सुनाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से भी इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
इस बार चुनाव होगा अलग
नए दिशानिर्देशों में इस बार चुनाव प्रचार के तरीकों पर भी कड़ा नियंत्रण लगाया गया है। पिछली बार की तरह सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स नहीं दिखेंगे। नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह रोक लगाई थी और अब कॉलेज परिसरों की दीवारों पर भी पोस्टर या नोटिस चिपकाने की अनुमति नहीं है। यहां तक कि कॉलेज के अंदर चुनाव प्रचार के लिए वाहनों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। इसका असर साफ है—इस बार का चुनावी माहौल अपेक्षाकृत शांत और अनुशासित दिख रहा है।
इस बार होगा डिजिटल प्रचार
डिजिटल प्रचार इस बार चुनाव की सबसे बड़ी रणनीति बनकर उभर रहा है। चूंकि भौतिक प्रचार पर सीमाएं हैं, इसलिए सभी प्रमुख छात्र संगठन सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, और एक्स (पूर्व में ट्विटर) का इस्तेमाल कर रहे हैं। उम्मीदवार लाइव सेशंस कर रहे हैं, वीडियो मैसेज शेयर हो रहे हैं और वर्चुअल डिबेट्स का आयोजन भी किया जा रहा है। यह बदलाव दिखाता है कि छात्रों की राजनीति में अब डिजिटल टूल्स का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।
ये छात्र लड़ेंगे डीयू का चुनाव
चुनाव में शामिल होने वाले प्रमुख संगठन हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), कांग्रेस समर्थित नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI), वामपंथी छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA), और हाल ही में गठित एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (ASAP)। ये संगठन अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। ABVP ने पिछले दस वर्षों में DUSU चुनावों में लगातार सफलता पाई है, जबकि NSUI और AISA भी मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं।
छात्रों की राय इन नए बदलावों को लेकर बंटी हुई है। कई छात्रों का मानना है कि बांड भरने का नियम छोटे संगठनों और आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। वहीं, कुछ छात्रों का कहना है कि यह कदम उम्मीदवारों की गंभीरता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था। प्रचार पर लगाए गए प्रतिबंधों को लेकर भी मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ छात्रों को लगता है कि इससे कॉलेज का माहौल स्वच्छ रहेगा, जबकि अन्य मानते हैं कि इससे छात्र राजनीति का असली जोश कम हो जाएगा।
10 सितंबर को भरे जाएंगें नामांकन
मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, नामांकन प्रक्रिया 10 सितंबर तक पूरी करनी होगी। नामांकन की जांच के बाद 11 सितंबर को उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। मतदान 18 सितंबर को दो शिफ्टों में होगा । पहली शिफ्ट सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और दूसरी शिफ्ट शाम 3:00 बजे से 7:00 बजे तक चलेगी। मतदान के बाद बैलेट बॉक्स सील कर दिए जाएंगे और अगले दिन वोटों की गिनती होगी।
इन चुनावों का परिणाम केवल DUSU तक सीमित नहीं है, यह पूरे देश की छात्र राजनीति की दिशा तय करता है। नए नियमों और डिजिटल प्रचार के इस दौर में देखना होगा कि कौन-सा संगठन छात्रों का भरोसा जीतने में सफल होता है। इतना तय है कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव 2025 न केवल छात्रों की प्राथमिकताओं को बदलेंगे, बल्कि भविष्य की राजनीति के लिए भी नए मानक स्थापित करेंगे।