खगड़िया जिले के परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से जदयू के विधायक संजीव कुमार के पाला बदलने की खबर ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचा दी है। लंबे समय से जदयू संगठन में सक्रिय रहने वाले संजीव कुमार का यह कदम पार्टी नेतृत्व के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। जदयू में उनका प्रभाव स्थानीय स्तर पर काफी मजबूत था, ऐसे में उनके इस फैसले से राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना बढ़ गई है।
संजीव कुमार की पहचान एक जमीनी नेता के रूप में रही है। परबत्ता क्षेत्र में उन्होंने विकास और जनसंपर्क के जरिए अपनी अलग पहचान बनाई थी। लेकिन पार्टी के भीतर उनकी उपेक्षा और नीतिगत मतभेदों की वजह से वे लगातार नाराज चल रहे थे। कई बार उन्होंने संगठन और सरकार के कामकाज पर अपनी असहमति भी जताई थी, जिसका असर अब खुले तौर पर पाला बदलने के रूप में सामने आया है।
बिहार की राजनीति में पाला बदलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन संजीव कुमार जैसे विधायक का यह कदम आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर असर डाल सकता है। जदयू की कोशिश थी कि वे संगठन को मजबूत करें, मगर उनके जाने से पार्टी की परबत्ता और आसपास के इलाकों में पकड़ कमजोर हो सकती है। वहीं विपक्षी दल इस मौके का फायदा उठाकर अपने पाले में जनता को जोड़ने की कोशिश करेंगे।
परबत्ता विधानसभा में संजीव कुमार का अच्छा जनाधार है। यदि वे किसी अन्य दल में शामिल होते हैं तो वहां की चुनावी रणनीति पूरी तरह बदल जाएगी। इससे जदयू के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लग सकती है। स्थानीय राजनीति में भी इस कदम से नए गठजोड़ और विरोध की स्थिति बन सकती है।
कुल मिलाकर, संजीव कुमार के पाला बदलने से बिहार की राजनीति में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। यह फैसला न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीति को नई दिशा देगा बल्कि जदयू की साख और भविष्य की रणनीति पर भी सवाल खड़े करेगा। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस दल का दामन थामते हैं और इस कदम का असर आगामी चुनावों में किस रूप में दिखाई देता है।