नई दिल्ली। यूट्यूबर एल्विश यादव को सांप के ज़हर और वन्यजीव अधिनियम उल्लंघन मामले में बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाते हुए यूपी सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है याचिका में एल्विश यादव ने आरोप पत्र और आपराधिक कार्यवाही को चुनौती दी थी।
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एल्विश यादव की याचिका खारिज कर दी थी। एफआईआर (FIR) में उन पर आरोप था कि उन्होंने यूट्यूब वीडियो बनाते वक्त प्रतिबंधित सर्प प्रजातियों का प्रदर्शन किया और सांपों के ज़हर का उपयोग किया। इसके अलावा, उन पर विदेशी पार्टियों के आयोजनों में सांपों और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन का आरोप भी था।
मामले में जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने 3 मई को याचिका खारिज करते हुए मौखिक टिप्पणी की थी कि ऐल्विश यादव के खिलाफ आरोपपत्र और एफआईआर में पर्याप्त आधार हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा की गई जांच संतोषजनक रही है।
हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद यूट्यूबर ऐल्विश यादव को अंतरिम राहत मिल गई है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाई और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। ऐल्विश ने गाजियाबाद कोर्ट में दाखिल चार्जशीट को भी चुनौती दी है।
क्या है पूरा मामला
एल्विश यादव के खिलाफ नोएडा के सेक्टर-49 थाने में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, भारतीय दंड संहिता (IPC) और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत मामला दर्ज है। आरोप है कि उन्होंने रेव पार्टियों में सांपों का इस्तेमाल किया और उनके जहर को नशीले पदार्थ के रूप में उपयोग किया। इसके अलावा, यह भी दावा किया गया कि उन्होंने विदेशी नागरिकों को इन पार्टियों में आमंत्रित किया और उन्हें नशीले पदार्थों का सेवन कराया।
नोएडा पुलिस ने इस मामले में एल्विश और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं (9, 39, 48A, 49, 50, 51), IPC की धाराओं (284, 289, 120B) और NDPS एक्ट की धाराओं (8, 22, 29, 30, 32) के तहत आरोप लगाए गए।
गाजियाबाद की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए समन जारी किया था। इसके खिलाफ एल्विश ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन मई 2025 में हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि इन आरोपों की जांच ट्रायल कोर्ट में होनी चाहिए। इसके बाद, एल्विश ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां 6 अगस्त 2025 को जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जॉयमाला बागची की बेंच ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा दी और उत्तर प्रदेश सरकार व शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2025 को संभावित है।