बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर के अंत तक पूरा हो रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग को नई विधानसभा के गठन के लिए समय रहते चुनाव कराना अनिवार्य है। यही वजह है कि अक्टूबर की शुरुआत से ही तारीखों को लेकर चर्चाएँ तेज़ हो गई हैं। माना जा रहा है कि 6 अक्टूबर के बाद आयोग चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है। इस बार चुनावी तैयारियों में सबसे अहम है मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन। आयोग ने सितंबर तक मतदाता सूची का संशोधन कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। दावे-आपत्तियों और सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही चुनाव कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी, ताकि किसी तरह की तकनीकी या कानूनी बाधा न रहे।
त्योहारों के सीजन को भी चुनाव कार्यक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। दशहरा, दिवाली और छठ जैसे बड़े पर्वों के दौरान चुनाव कराना प्रशासनिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी कारण संभावना जताई जा रही है कि आयोग त्योहारों के बीच बाधा न बने और त्योहारों के बाद ही मतदान की प्रक्रिया शुरू कराए।बिहार जैसे बड़े राज्य में सुरक्षा प्रबंधन और चरणबद्ध चुनाव कराना ज़रूरी है। इसलिए अंदेशा है कि मतदान 3 से 4 चरणों में संपन्न होगा। चुनाव की तिथियाँ ऐसी होंगी कि नवंबर के मध्य तक सभी चरण पूरे हो जाएँ और महीने के अंत तक परिणाम भी घोषित किए जा सकें।
6 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा की संभावना इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि तब तक मतदाता सूची तैयार हो जाएगी, त्योहारों का दौर समाप्त हो जाएगा और प्रशासनिक मशीनरी चुनाव पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित कर पाएगी। अब पूरे राज्य की निगाहें आयोग पर टिकी हैं कि वह किस दिन आधिकारिक कार्यक्रम घोषित करता है।