बरसों तक भारतीय वायुसेना की ताकत रहा MIG-21 फाइटर जेट आज रिटायर हो गया। चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान इसका ऐलान किया गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने मिग-21 की खासियत बताते हुए उसे भारत और रूस के मजबूत संबंधों का प्रमाण बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि मिग 21 महज एक फाइटर जेट नहीं है, बल्कि यह भारत और रूस संबंधों का प्रमाण है।
इतिहास और उत्पत्ति
MiG-21 एक सोवियत यूनियन में डिज़ाइन किया गया सुपरसोनिक फाइटर जेट है। इसे मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो ने 1950 के दशक में तैयार किया। यह विमान शीत युद्ध के दौर में सामने आया और अपनी सादगी, स्पीड और किफ़ायती निर्माण की वजह से कई देशों ने इसे अपनाया।
डिज़ाइन और संरचना
MiG-21 का डिज़ाइन बेहद कॉम्पैक्ट और एयरोडायनामिक है। इसमें डेल्टा-विंग (त्रिकोणीय पंख) लगे हैं, जो इसे हाई-स्पीड पर उड़ान भरने और युद्ध में फुर्तीला बनाते हैं। इसका आकार छोटा होने के बावजूद इसकी मारक क्षमता बहुत प्रभावी मानी जाती है।
तकनीकी क्षमता
MiG-21 की अधिकतम स्पीड लगभग Mach 2 (यानी आवाज़ की रफ़्तार से दोगुनी) तक पहुँच सकती है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 600-700 किलोमीटर तक होती है। इसमें एयर-टू-एयर मिसाइलें, रॉकेट पॉड्स और मशीन गन फिट की जाती हैं, जो इसे बहुउद्देश्यीय फाइटर बनाते हैं।
उत्पादन और वैश्विक प्रसार
MiG-21 दुनिया के सबसे ज़्यादा बिकने वाले फाइटर जेट्स में से एक है। इसका निर्माण 60 से अधिक देशों ने अपनाया और अलग-अलग संस्करणों में लाखों घंटे तक उड़ानें भरी गईं। लगभग 11,000 से ज़्यादा यूनिट बनाए गए, जो इसे विश्व का सबसे अधिक उत्पादित सुपरसोनिक फाइटर बनाते हैं।
भारत में MiG-21 का आगमन
भारत ने 1963 में सोवियत यूनियन से MiG-21 को अपने बेड़े में शामिल किया। यह भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था। धीरे-धीरे भारत ने न सिर्फ इन्हें खरीदा बल्कि लाइसेंस प्रोडक्शन के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में भी इन्हें बनाया।
युद्धों में योगदान
MiG-21 ने भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965, 1971) और कारगिल संघर्ष (1999) में अहम भूमिका निभाई। 1971 के युद्ध में MiG-21 ने पाकिस्तान के कई एयरक्राफ्ट गिराए और भारत की जीत में बड़ी हिस्सेदारी निभाई। कारगिल युद्ध के दौरान भी इसका इस्तेमाल बमबारी और हवाई सुरक्षा के लिए किया गया।
“फ्लाइंग कॉफ़िन” की छवि
हालाँकि यह विमान शक्तिशाली रहा है, लेकिन तकनीकी पुरानापन और सुरक्षा सीमाओं के कारण भारत में इसे “फ्लाइंग कॉफ़िन” कहा जाने लगा। कई हादसों में पायलटों की जान गई, जिससे इसकी सुरक्षा पर सवाल उठे।
अपग्रेड और आधुनिकीकरण
भारतीय वायुसेना ने समय-समय पर MiG-21 को अपग्रेड किया। “MiG-21 बाइसन” इसका आधुनिक रूप है, जिसमें एडवांस एवियोनिक्स, राडार और मिसाइल सिस्टम लगाए गए। इससे यह 21वीं सदी में भी ऑपरेशनल रूप से सक्षम बना रहा।
हाल के चर्चित घटनाक्रम
2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद हुए भारत-पाकिस्तान हवाई संघर्ष में, भारतीय पायलट अभिनंदन वर्धमान ने MiG-21 बाइसन से उड़ान भरकर पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया। यह घटना MiG-21 की क्षमता और साहसिक उपयोग का ऐतिहासिक उदाहरण बनी।
रिटायरमेंट और विरासत
आज के दौर में भारत ने MiG-21 को चरणबद्ध तरीके से रिटायर करना शुरू कर दिया है और इन्हें राफेल व तेजस जैसे आधुनिक विमानों से बदला जा रहा है। फिर भी, MiG-21 भारतीय वायुसेना के इतिहास में “रीढ़ की हड्डी” कहलाता है और दशकों तक इसने देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई।