जर्मन अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung की एक हालिया रिपोर्ट ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर सनसनीखेज दावा किया है। अखबार के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चार बार फोन किया, लेकिन पीएम मोदी ने इन कॉलों का जवाब नहीं दिया। यह दावा व्यापारिक टैरिफ को लेकर चल रहे विवाद के बीच आया है, जिसने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। हालांकि, इस खबर की आधिकारिक पुष्टि या खंडन न तो भारत और न ही अमेरिका की ओर से किया गया है।
टैरिफ विवाद और भारत का सख्त रुख
रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, जो ब्राजील को छोड़कर किसी भी देश पर सबसे ज्यादा है। ट्रंप का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है, जिसे भारत ने सिरे से खारिज किया है। पीएम मोदी ने ट्रंप के दबाव के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अमेरिका को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत किसी के सामने झुकेगा नहीं। अखबार का दावा है कि पीएम मोदी ट्रंप के बयान, जिसमें उन्होंने भारत को “मृत अर्थव्यवस्था” कहा था, से नाराज हैं। इसके जवाब में 10 अगस्त को पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की ओर अग्रसर है।
भारत की बदलती विदेश नीति
रिपोर्ट में हेंड्रिक अंकेनब्रांड, विनांड वॉन पीटर्सडॉर्फ और गुस्ताव थाइले ने लिखा है कि भारत की विदेश नीति में बदलाव साफ दिख रहा है। भारत अब अमेरिका के दबाव में आने के बजाय रूस, चीन और ब्राजील जैसे देशों के साथ नया गठजोड़ बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के आगामी शिखर सम्मेलन में भारत इन देशों के साथ मिलकर अमेरिका के टैरिफ नीतियों का जवाब देने की रणनीति बना सकता है। हाल ही में, पीएम मोदी ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की, जहां उन्होंने भारत-चीन सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर जोर दिया। यह भी संकेत है कि भारत 2020 की लद्दाख झड़प के बाद चीन के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है।
ट्रंप की मांग और भारत का इनकार
अखबार के अनुसार, ट्रंप ने भारत से अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए बाजार खोलने की मांग की थी, लेकिन पीएम मोदी ने इसे ठुकरा दिया। भारत ने रूस और ईरान से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा और पश्चिमी प्रतिबंधों को नजरअंदाज किया। अखबार ने यह भी दावा किया कि भारत अमेरिका के उस एजेंडे से सहमत नहीं है, जिसमें वह भारत को चीन के खिलाफ अपने पक्ष में खड़ा करना चाहता है। भारत का मानना है कि अमेरिका के साथ दोस्ती पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, और वह चीन के साथ संबंध बिगाड़कर अमेरिका का “मोहरा” नहीं बनना चाहता।
मोदी का रणनीतिक दृष्टिकोण
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएम मोदी ट्रंप की “मीडिया स्टंटबाजी” का हिस्सा नहीं बनना चाहते। इसका उदाहरण वियतनाम के मामले से दिया गया, जहां ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक व्यापार समझौते का ऐलान कर दिया, जबकि कोई समझौता हुआ ही नहीं था। भारत अब SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहा है, जहां वह चीन और रूस के साथ रणनीतिक हितों को मजबूत करेगा।
आर्थिक प्रभाव और भविष्य
अमेरिका भारत के कुल निर्यात का 20% हिस्सा लेता है, जिसमें कपड़े, गहने, दवाइयां और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं। टैरिफ बढ़ने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है, और अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारत की विकास दर 6.5% से घटकर 5.5% हो सकती है। जर्मनी में हुए एक सर्वे के अनुसार, केवल 18% लोग ट्रंप पर भरोसा करते हैं, जबकि भारत में उन्हें सबसे कम भरोसेमंद राष्ट्रपति माना जाता है।
जर्मन अखबार की यह रिपोर्ट भारत की स्वतंत्र और सख्त विदेश नीति को दर्शाती है। पीएम मोदी का ट्रंप के कॉलों का जवाब न देना और रूस-चीन जैसे देशों के साथ नजदीकी बढ़ाना यह संदेश देता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपने हितों को प्राथमिकता दे रहा है। यह कदम न केवल अमेरिका के साथ संबंधों को परिभाषित कर सकता है, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भारत की स्थिति को और मजबूत भी करेगा