Rakshabandhan 2025: भाई-बहन के पवित्र और निश्छल प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाएगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह पर्व आखिर शुरू कहां से हुआ? क्या सिर्फ एक धागा ही रिश्तों की डोर है या इसके पीछे भी कोई दिव्य कथा छिपी है? तो चलिए जानते है इससे जुड़ी कहानियां।
श्रीकृष्ण और द्रौपदी की पहली कथा
महाभारत की कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तो उनकी अंगुली कट गई। रक्त बहता देख द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया। इस पल से ही रक्षा सूत्र की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है। श्रीकृष्ण ने तब वादा किया था, “मैं तुम्हारी रक्षा सदैव करूंगा।” यही वचन बाद में चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाने का कारण बना।
मां लक्ष्मी और राजा बलि की कथा
वामन अवतार की कथा में उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि मांगकर राजा बलि से सबकुछ ले लिया और फिर वचन पालन हेतु पाताल लोक में उनके साथ चले गए। इस पर लक्ष्मी चिंतित हुईं और एक सामान्य स्त्री के रूप में बलि के पास जाकर राखी बांधी। बलि ने उन्हें अपनी बहन मान लिया और वर मांगने को कहा। तब लक्ष्मी ने अपने पति विष्णु को लौटाने का वर मांग लिया। यही था रक्षाबंधन का सबसे भावुक अध्याय।
पद्म पुराण, स्कंद पुराण और श्रीमद्भागवत में वर्णित वामन कथा में कहा गया है कि बलि ने वचन निभाया और विष्णु को पाताल ले गया। लेकिन लक्ष्मी की सूझबूझ ने देवताओं को फिर से उनका देवता लौटा दिया। इस घटना ने यह संदेश दिया कि राखी सिर्फ रक्षा का प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म, प्रेम और नीति का भी बंधन है।
इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। पूरे देश में रक्षाबंधन का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. रक्षाबंधन भाई-बहनों के बीच प्यार और सुरक्षा का त्योहार है। ज्योतिषियों की मानें तो, भद्रा के साये में राखी कभी नहीं बांधनी चाहिए. तो चलिए जानते हैं कि क्या इस बार भद्रा का साया रहेगा और क्या रहेगा राखी का सबसे शुभ मुहूर्त ?
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त?
ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधने का त्योहार रहेगा। लेकिन, खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं लगेगा। दरअसल, भद्रा 9 अगस्त को तड़के 1 बजकर 52 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और उसके बाद 9 अगस्त की सुबह से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा।
आज भी बहनें भाई की लंबी उम्र, सुरक्षा और खुशहाली के लिए राखी बांधती हैं। बदले में भाई जीवन भर उसकी रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन महज एक पर्व नहीं, बल्कि उन कहानियों की जीवंत स्मृति है जो भारतीय संस्कृति की आत्मा में रची-बसी हैं।