रूस-यूक्रेन युद्ध, जो फरवरी 2014 में शुरू हुआ और 2022 में पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के साथ और भयावह हो गया, अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों पक्ष—रूस और यूक्रेन—पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, जिससे यह संघर्ष और जटिल हो गया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने स्वतंत्रता दिवस (24 अगस्त 2025) पर अपने संबोधन में कसम खाई कि जब तक “न्यायपूर्ण और वास्तविक शांति” नहीं मिलती, यूक्रेन की लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा, “हमारा भविष्य हम खुद तय करेंगे, कोई और नहीं।” यह बयान न केवल यूक्रेनियों के लिए हौसला बढ़ाने वाला था, बल्कि रूस और वैश्विक समुदाय के लिए एक स्पष्ट संदेश भी था कि यूक्रेन हार नहीं मानेगा।
रूस का आरोप और न्यूक्लियर खतरा
इसी बीच, रूस ने दावा किया कि यूक्रेन ने कुर्स्क क्षेत्र में उसके एक परमाणु संयंत्र पर ड्रोन हमला किया, जिसमें ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हुआ और आग लग गई। रूस के अनुसार, स्थिति नियंत्रण में है और रेडिएशन स्तर सामान्य हैं, लेकिन यूक्रेन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे रूसी प्रचार बताया। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने दोनों देशों से संयम बरतने और परमाणु संयंत्रों को युद्ध से दूर रखने की अपील की, क्योंकि किसी भी गंभीर क्षति के परिणाम यूरोप और एशिया तक फैल सकते हैं।
पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दोहराया
यूक्रेन के स्वतंत्रता दिवस पर दोनों देशों ने 146-146 सैनिकों और कैदियों की रिहाई की, जिसमें एक यूक्रेनी पत्रकार भी शामिल था, जिसे युद्ध की शुरुआत में अगवा किया गया था। यह कदम मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन यह युद्ध के अंत का संकेत नहीं देता। उसी दिन, पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दोहराया। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कीव में ड्रोन, हथियार और बख्तरबंद गाड़ियों की आपूर्ति का ऐलान किया, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे और स्वीडन ने भी सैन्य सहायता की घोषणा की। ब्रिटेन के किंग चार्ल्स ने यूक्रेनियों की “अटूट भावना” की प्रशंसा की।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दावा किया कि रूस और यूक्रेन शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन पश्चिमी देश, खासकर यूरोपीय राष्ट्र, जानबूझकर इस प्रक्रिया में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने जेलेंस्की पर “अड़ियल रवैया” अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिमी देश वार्ता को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ किसी भी प्रारूप में बातचीत की इच्छा जताई, लेकिन शर्तों के साथ कि यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से समझौता नहीं होगा।
जेलेंस्की का संदेश और दुनिया की बेचैनी
यह युद्ध अब केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है। पश्चिमी देशों (अमेरिका, नाटो, यूरोपीय संघ) की सैन्य और आर्थिक सहायता यूक्रेन को मजबूती दे रही है, जबकि रूस को चीन और ईरान से समर्थन मिल रहा है। इससे यह संघर्ष एक नए शीत युद्ध की शक्ल ले रहा है, जिसका असर वैश्विक ऊर्जा और खाद्य संकट के रूप में दिख रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक चलने वाली इस जंग से यूरोप और पूरी दुनिया को आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
यूक्रेन का स्वतंत्रता दिवस इस बार भी गोलाबारी और तनाव के साये में बीता। कीव और अन्य शहरों में उत्सव की जगह भय और असुरक्षा का माहौल था। फिर भी, जेलेंस्की की कसम और पश्चिमी देशों का समर्थन यूक्रेन के हौसले को दर्शाता है। दूसरी ओर, रूस के परमाणु संयंत्र पर कथित हमले ने वैश्विक चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि इसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।
अमेरिका, खासकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, युद्ध को खत्म करने की कोशिशों में जुटे हैं। ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की के साथ बैठकें कीं और शांति वार्ता को बढ़ावा देने की कोशिश की, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। यह युद्ध न केवल यूक्रेन और रूस, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती बना हुआ है, जिसके समाधान के लिए कूटनीतिक और मानवीय प्रयासों की जरूरत है।