दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के 13 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई दिल्ली में हॉस्पिटल कंस्ट्रक्शन स्कैम के आरोप के चलते हो रही है। एंटी-करप्शन ब्रांच (ACB) ने जून में इस मामले में केस दर्ज किया था, जिसे बाद में ईडी को ट्रांसफर कर दिया गया। इस स्कैम में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर 5,590 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप है।
क्या है मामला?
दिल्ली की एंटी-करप्शन ब्रांच ने सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन के खिलाफ दिल्ली में हॉस्पिटल कंस्ट्रक्शन स्कैम का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया था। इस मामले में ईडी ने जुलाई में केस दर्ज किया, जिसमें दोनों पूर्व स्वास्थ्य मंत्रियों की भूमिका का जांच के दायरे में होना बताया गया है। सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर 5,590 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में शामिल होने का आरोप है। एंटी-करप्शन ब्रांच (ACB) ने अपने बयान में कहा है कि 2018-19 में अस्पताल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी, जिनमें 11 ग्रीनफील्ड और 13 ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट शामिल थे। लेकिन इनमें से अधिकांश परियोजनाएं अब तक पूरी नहीं हुई हैं। ईडी ने पाया है कि इन परियोजनाओं में 800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं, लेकिन अभी तक केवल 50% काम ही पूरा हुआ है। दिल्ली सरकार के लोक नायक अस्पताल की निर्माण लागत भी 488 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,135 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि कई अस्पतालों में बिना सही मंजूरी के निर्माण कार्य शुरू कर दिए गए।
अस्पताल परियोजनाओं में अनियमितताएँ
एसीबी (ACB) द्वारा दर्ज मामले में कहा गया था कि अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और आईसीयू इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में भारी अनियमितताएं और बिना वजह देरी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, कई सौ करोड़ रुपये तक की लागत बढ़ोतरी दर्ज की गई है और तय समय सीमा के भीतर एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने 22 अगस्त 2024 को इस मामले में शिकायत की थी। इस शिकायत में जीएनसीटीडी के तहत चल रही कई स्वास्थ्य से संबंधित परियोजनाओं में गंभीर अनियमितताओं और संदिग्ध भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया गया था। शिकायत में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन का नाम लिया गया है. उन पर परियोजनाओं के बजट में सुनियोजित हेरफेर, सार्वजनिक धन के दुरुपयोग और निजी ठेकेदारों के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए गए हैं. ACB का यह कहना है कि इन परियोजनाओं की लागत बढ़ने के पीछे साजिश हो सकती है, और यह सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का उदाहरण है। हालांकि, इस मामले में आगे की कार्रवाई से यह स्पष्ट होगा कि क्या ये आरोप सही हैं या नहीं।
AAP का रुख
AAP ने इन आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा है कि यह सब BJP की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह FIR राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और इसमें कोई ठोस प्रमाण नहीं है। AAP के अनुसार, सौरभ भारद्वाज का नाम 2018–2019 के अस्पताल प्रोजेक्ट्स से जुड़ा हुआ नहीं था। उनका मंत्री बनने का समय 2023 में था, और उस वक्त से पहले जो परियोजनाएँ स्वीकृत की गई थीं, उनका कोई सीधा संबंध उनसे नहीं था। इसके अलावा, AAP ने यह भी सवाल उठाया कि FIR मीडिया के लिए क्यों उपलब्ध नहीं करवाई गई और क्यों कुछ चुने हुए पत्रकारों को ही इस पर जानकारी दी गई। पार्टी ने इसे एक सुनियोजित राजनीति का हिस्सा बताया है।
इस मामले की जांच में अभी कई परतें सामने आ सकती हैं, क्योंकि इसमें कई प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएँ जुड़ी हुई हैं। ED और ACB दोनों ही अपनी जांच जारी रखे हुए हैं, और अगले कुछ महीनों में इस मामले में बड़े खुलासे हो सकते हैं।
सवाल यह है कि क्या सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन पर लगाए गए आरोपों की सच्चाई सामने आएगी, या यह एक राजनीतिक खेल के रूप में बदल जाएगा। दिल्ली की राजनीति में इस घोटाले का असर आगामी चुनावों में देखा जा सकता है, क्योंकि यह न केवल एक प्रशासनिक संकट है बल्कि आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।