Ganesh Chaturthi 2025: गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आज, 27 अगस्त 2025 से शुरू हो चुका है और 6 सितंबर 2025 तक चलेगा, जब भगवान गणेश का विसर्जन होगा। गणेशोत्सव पर सभी अपने घरों में गणपति की मूर्ती स्थापित करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं. गणेश जी की पूजा की सबसे जरूरी रस्मों में से एक उन्हें भोग या प्रसाद चढ़ाना है. बप्पा को चढ़ाया जाने वाला भोग पवित्र माना जाता है, इसलिए इसे पवित्रता, भक्ति और सावधानी से तैयार किया जाना चाहिए। इस परंपरा को पवित्र बनाए रखने के लिए, प्रसाद तैयार करते समय कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। आज हम आपको गणपति का प्रसाद बनाने के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए वो बताएंगे।
प्रसाद बनाते समय क्या करें?
1.ताजा सामग्री का उपयोग करें: गणेश जी को हमेशा ताजे फल, अनाज, सब्जियां और दूध से बने पदार्थ अर्पित करें।
2.स्वच्छता बनाए रखें: प्रसाद बनाने से पहले अपने हाथ, बर्तन और रसोई को अच्छी तरह साफ करें।
3.सात्विक भोजन बनाएं: प्याज, लहसुन और मांसाहारी भोजन से बचें। भोजन शुद्ध और सादा हो।
4.घर का बना प्रसाद पसंद करें: मोदक, लड्डू, पंचामृत या सुंदल घर पर ही बनाएं, बाहर का खाना न लें।
5.घी और गुड़ का प्रयोग करें: मिठाइयों में घी और गुड़ का उपयोग करें, क्योंकि इन्हें शुद्ध और पवित्र माना जाता है।
6.पंचामृत तैयार करें: दूध, दही, शहद, घी और चीनी से बना पंचामृत पूजा में अनिवार्य है।
7.उचित मात्रा में पकाएं: प्रसाद उतना ही बनाएं जितना भोग और बांटने के लिए जरूरी हो, ताकि हर बार ताजा चढ़ाया जा सके।
8.पहले भोग, फिर स्वाद: प्रसाद चखने से पहले गणपति को अर्पित करें।
8.प्रसाद को ढककर रखें: भोग लगाने से पहले प्रसाद को धूल, मक्खियों या कीड़ों से बचाएं।
प्रसाद बनाते समय क्या न करें?
1.प्याज, लहसुन, मांस और शराब से बचें: गणेशोत्सव में ये पूरी तरह वर्जित हैं।
2.पकाते समय न चखें: प्रसाद को भगवान को चढ़ाने से पहले चखना या छूना नहीं चाहिए।
3.बासी या डिब्बाबंद भोजन न चढ़ाएं: हमेशा ताजा प्रसाद ही बनाएं।
4.गंदे बर्तनों का उपयोग न करें: सभी बर्तन स्वच्छ और शुद्ध होने चाहिए।
5.भोजन की बर्बादी न करें: जरूरत के अनुसार ही पकाएं।
6.प्लास्टिक बर्तनों से परहेज करें: प्रसाद परोसने के लिए स्टील, पीतल या केले के पत्तों का उपयोग करें।
7.मूर्ति के पास बचा हुआ भोजन न रखें: गणपति के सामने केवल ताजा प्रसाद ही अर्पित करें।
8.अनुष्ठान का सम्मान करें: प्रसाद को भक्ति के साथ नैवेद्यम के रूप में चढ़ाएं।
इन सावधानियों को अपनाकर आप गणेश चतुर्थी के पर्व को और भी पवित्र और भक्तिमय बना सकते हैं। गणपति बप्पा मोरया!















