Thailand-Combodia War Update: सैन्य तनाव और युद्ध 21वीं सदी की दुनिया की हकीकत बन चुकी है। पहले रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध उसके बाद इजरायल-हमास जंग के बाद इजायल-ईरान वॉर और अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग छिड़ गई है। मौजूदा हालात को देखते हुए हर छोटे से बड़े देश अपनी रक्षा प्रणाली को दुरुस्त और उसे मजबूत बनाने में जुटे है। दुनिया के किसी ना किसी कोने में तनाव का माहोल बना हुआ है तो वहीं अब थाइलैंड-कंबोडिया की जंग में तीसरे पड़ोसी देश चीन की एंट्री हो गई है और तो और सबसे बड़ी बात ये है कि आखिर चीन के दोनों हाथों में क्यों और कैसा लड्डू हैं?
दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देशों थाइलैंड और कंबोडिया के बीच गुरुवार यानी 24 जुलाई को शुरू हुआ युद्ध और भड़क गया है। जहां एक दिन पहले दोनों देश छोटे हथियार और रॉकेट से हमला कर रहे थे तो वही अब शुक्रवार 25 जुलाई को जब थाईलैंड ने कंबोडिया पर हवाई हमले किए तो इस जंग ने भयानक रूप ले लिया। दोनों देशों के बीच झड़प में अब तक लगभग 27 लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकतर आम नागरिक हैं।
इस बीच, तीसरे पड़ोसी देश चीन की इस जंग में एंट्री हो गई है हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि चीन की यह एंट्री जंग को भड़काने नहीं बल्कि उसे शांत कराने के मकसद से हुई है क्योंकि अगर देखे तो चीन दोनों ही देशों का पड़ोसी और हमेशा से ही खास व्यापारिक साझेदार रहा है। चीन के राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में थाइलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष में कमी लाने का आह्वान किया है और इस बात की पुष्टि की है कि 24 जुलाई को अचानक सीमा पर हुए संघर्ष के बाद बीजिंग दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।
बीच में कूदा चीन!
चीन के सरकारी स्वामित्व वाले सीसीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में में संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत फू कांग ने कहा कि चीन दोनों पक्षों के बीच संवाद को सुगम बनाने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है और उम्मीद करता है कि स्थिति जल्द से जल्द स्थिर हो जाएगी। फू ने साक्षात्कार के दौरान दोनों देशों से संयम बरतने और स्थिति को शांत रखने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “कंबोडिया और थाइलैंड न केवल चीन के अच्छे पड़ोसी हैं, बल्कि एक-दूसरे के मित्रवत पड़ोसी और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के महत्वपूर्ण सदस्य भी हैं।” फू ने कहा, “आसियान में शांतिपूर्ण तरीकों से मतभेदों को सुलझाने की एक पुरानी परंपरा रही है, और हमें उम्मीद है कि इस मामले में एक बार फिर शांति स्थापित होगी।”
लेकिन इससे पहले ही थाईलैंड ने चीन को दरकिनार कर दिया । थाईलैंड ने इस युद्ध को रोकने के लिए चीन की मध्यस्थता के प्रस्ताव को साफ तौर पर ठुकरा दिया। थाईलैंड-कंबोडिया के बीच जारी युद्ध को रुकवाने के लिए चीन के साथ अमेरिका और मलेशिया ने भी सीजफायर की पेशकश की थी।
सीमा पर लंबे समय से विवाद
दोनों देशों के बीच झड़प पहली बार नहीं हुई है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्राचीन मंदिरों के पास विवादित क्षेत्रों को लेकर लंबे समय से सीमा विवाद चल रहा है। बुधवार को सीमाई इलाके में बारूदी सुरंग विस्फोट होने के बाद से दोनों देशों के बीच नया संघर्ष शुरू हुआ जिसमें थाईलैंड के 5 सैनिक घायल हुए थे।
चीन ने जारी की एडवायजरी
बढ़ते संघर्ष के बीच, चीन के दूतावासों ने अपने नागरिकों को थाइलैंड और कंबोडिया दोनों जगहों पर विवादित सीमा के पास न जाने की चेतावनी दी हैं। थाईलैंड के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, गुरुवार से सीमा पर कम से कम छह इलाकों में गोलीबारी हुई है। तो वही कई मीडिया संस्थानों का कहना है कि थाईलैंड ने कंबोडिया पर अमेरिका निर्मित F-16 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल करके हवाई हमले किए हैं।
तो ऐसे में ये सवाल उठता है कि इन दो देशों के बीच में आने की कोशिश करने वाले अमेरिका को ही नहीं बल्कि चीन तक को साफ साफ कह दिया है कि उनको किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। लेकिन इस सब के बाद ये सवाल उठता है कि अमेरिका और चीन जैसे इतने ज्यादा ताकतवर देशों को भी थाइलैंड ने साफ कह दिया है कि आप हमारे बीच में नहीं बोल सकते हम खुद सुलझा लेंगे। हालांकि बाद में मलेशिया का ऑफर स्वीकार कर लिया है और इन सब के बीच खबर आ रही है कि संयुक्त राष्ट्र में कंबोडिया के राजदूत ने कहा है कि कंबोडिया ने बिना शर्त तत्काल युद्धविराम का अनुरोध किया है।