प्रस्ताव का मूल उद्देश्य
इस बिल का मकसद इटली में “इस्लामिक अलगाववाद” (Islamic separatism) को संबोधित करना है। इसमें मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है कि सार्वजनिक जीवन में नागरिकों का चेहरा खुला हो और धार्मिक पहचान के नाम पर ऐसी चीजें न हों जो सामाजिक एकता या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हों। साथ ही, बाहरी स्रोतों से मिलने वाली फंडिंग पर नियंत्रण रखने के माध्यम से धार्मिक संस्थानों की पारदर्शिता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
4. सामाजिक और कानूनी विरोध
कानून के आलोचकों का तर्क है कि यह व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन हो सकता है। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपनी आस्था के अनुसार पहनना चाहिए, और सार्वजनिक नीतियाँ इस तरह नहीं बनायीं जानी चाहिए कि विरोधाभासों को जन्म दें। साथ ही, कानूनी दृष्टिकोण से यह प्रश्न उठते हैं कि प्रेस्क्रिब्ड प्रतिबंध संविधान के अंतर्गत स्वीकृत होंगे या नहीं।
यूरोप के देश इटली की सरकार पूरे देश में बुर्का और नकाब पर बैन लगाने की तैयारी कर रही है,प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व वाली इटली की सत्तारूढ़ पार्टी ने बुधवार (8 अक्टूबर, 2025) को देश की संसद में मुस्लिम समुदाय के महिलाओं के देश भर में सभी सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का और नकाब से चेहरे और शरीर के ढकने पर बैन लगाने के लिए बिल पेश किया है.
इटली की सत्तारूढ़ पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ने इस कदम को इस्लामिक अलगाववाद से निपटने के लिए एक व्यापक प्रस्ताव का हिस्सा करार दिया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी के तीन सांसदों की ओर से पेश किए गए इस बिल में देशभर के सभी सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों, दुकानों और कार्यालयों में चेहरा ढकने वाले कपड़ों पर बैन लगाने की मांग की गई है |
बिल के योजनाकारों में से एक माने जा रहे सांसद एंडिया डेलमास्त्रो ने बुधवार (8 अक्टूबर, 2025) को इस बिल को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर इसकी जानकारी शेयर की,उन्होंने इस बिल के संबंध में कहा, ‘धार्मिक स्वतंत्रता पवित्र है, लेकिन इसका इस्तेमाल खुलेआम हमारे संविधान और इटली के सिद्धांतों का पूरा सम्मान करते हुए किया जाना चाहिए |
इस बिल की प्रस्तावना में यह भी कहा गया, ‘इस्लामिक कट्टरवाद का प्रसार स्पष्ट रूप से इस्लामिक आतंकवाद की जड़ों को मजबूत करने के लिए होता है और इस बिल में धार्मिक उग्रवाद और धर्म के आधार पर घृणा से निपटने की जरूरत पर भी जोर दिया गया है |
सामाजिक और कानूनी विरोध
कानून के आलोचकों का तर्क है कि यह व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन हो सकता है। वे कहते हैं कि हर व्यक्ति को अपनी आस्था के अनुसार पहनना चाहिए, और सार्वजनिक नीतियाँ इस तरह नहीं बनायीं जानी चाहिए कि विरोधाभासों को जन्म दें। साथ ही, कानूनी दृष्टिकोण से यह प्रश्न उठते हैं कि प्रेस्क्रिब्ड प्रतिबंध संविधान के अंतर्गत स्वीकृत होंगे या नहीं।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
यदि यह बिल लागू हो गया, तो यह इटली में मुस्लिम समुदाय सहित उन लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा जो चेहरा छुपाने वाले परिधान पहनते हैं। समाज में एकीकृतता की भावना बढ़ सकती है, लेकिन इसके उल्टा ध्रुवीकरण और सामाजिक तनाव भी बढ़ सकता है। कानूनी प्रक्रियाएँ, न्यायालयों की समीक्षा, और संविधानिक अधिकारों से जुड़े मामलों में विवाद संभावित हैं। साथ ही, इसके प्रभाव का आकलन इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार इस कानून को किस तरह लागू करती है, तथा स्थानीय स्तर पर संदर्भ और सांस्कृतिक भिन्नताएँ क्या भूमिका निभाती हैं।