दिल्ली में इस साल दिवाली से पहले एक बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने सीमित शर्तों के साथ ग्रीन पटाखे जलाने की मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा है कि लोगों की त्योहार मनाने की भावना का सम्मान करते हुए केवल पर्यावरण-अनुकूल पटाखों की इजाज़त दी जाएगी। यह फैसला दिल्ली-NCR में प्रदूषण के बढ़ते स्तर और लोगों की परंपराओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। ग्रीन पटाखे (Green Crackers) ऐसे पर्यावरण-अनुकूल पटाखे होते हैं जिनसे सामान्य पटाखों की तुलना में बहुत कम धुआं और प्रदूषण निकलता है। इन्हें भारत के वैज्ञानिक संस्थान CSIR-NEERI (नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने विकसित किया है। इन पटाखों को खास तौर पर इस तरह तैयार किया गया है कि ये त्योहारों की खुशी भी बरकरार रखें और पर्यावरण को भी नुकसान न पहुंचाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि सिर्फ वही ग्रीन पटाखे (Green Crackers) जलाए जा सकते हैं जिन्हें CSIR-NEERI ने प्रमाणित किया हो। इन पटाखों से सामान्य पटाखों की तुलना में 30% तक कम प्रदूषण होता है। साथ ही, इनमें सल्फर और बेरियम जैसे हानिकारक रसायन नहीं होते। अदालत ने पारंपरिक पटाखों पर पूरी तरह रोक बरकरार रखी है ताकि वायु गुणवत्ता (AQI) और ज्यादा खराब न हो। कोर्ट ने इस मंजूरी के साथ कई शर्तें भी लगाई हैं। ग्रीन पटाखे केवल निर्धारित समय सीमा में ही जलाए जा सकेंगे — जैसे दिवाली की रात 8 से 10 बजे तक। इसके अलावा, सिर्फ लाइसेंस प्राप्त दुकानदारों को ही इन पटाखों की बिक्री की अनुमति दी गई है। ऑनलाइन बिक्री (e-commerce) पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी, ताकि नकली पटाखे बाजार में न पहुंच सकें।
अदालत ने यह भी कहा कि सभी ग्रीन पटाखों के पैकेट पर QR कोड होना जरूरी है, जिससे जांच की जा सके कि वह असली और प्रमाणित है या नहीं। दिल्ली पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निगरानी के सख्त निर्देश दिए गए हैं ताकि नियमों का पालन हो। कोर्ट ने इसे “टेस्ट बेसिस पर मंजूरी” बताया है, यानी अगर परिणाम सकारात्मक रहे तो आगे भी इसे जारी रखा जा सकता है।
इन पटाखों में पारंपरिक पटाखों की तरह सल्फर, नाइट्रेट और भारी धातुएं ज्यादा मात्रा में नहीं होतीं। इसके बजाय, इनमें ऐसे तत्व मिलाए जाते हैं जो जलने पर कम धुआं और गैसें उत्पन्न करते हैं। इससे वायु में प्रदूषणकारी कणों (PM2.5 और PM10) की मात्रा काफी कम रहती है। ये पटाखे 30% तक कम प्रदूषण फैलाते हैं और ध्वनि प्रदूषण भी कम करते हैं।
ग्रीन पटाखों के कई प्रकार हैं, जैसे — SWAS (Safe Water Releaser), STAR (Safe Thermite Cracker) और SAFAL (Safe Minimal Aluminum)। इन सबकी अपनी विशेषता होती है, लेकिन उद्देश्य एक ही — प्रदूषण कम करना। इन पटाखों के पैकेट पर QR कोड दिया जाता है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि यह असली ग्रीन पटाखा है या नहीं।
ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल के कई फायदे हैं। ये वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं, जिससे बुजुर्गों, बच्चों और जानवरों को परेशानी नहीं होती। साथ ही, ये हवा में मौजूद ऑक्सीजन को ज्यादा नहीं जलाते और कार्बन उत्सर्जन को घटाते हैं। इनका उपयोग करने से हम त्योहार मनाने के साथ-साथ पर्यावरण की भी रक्षा कर सकते हैं।
सरकार और अदालतों ने भी ग्रीन पटाखों के उपयोग को बढ़ावा दिया है ताकि लोगों की भावनाओं और पर्यावरण दोनों के बीच संतुलन बना रहे। दीपावली जैसे त्योहारों पर अगर लोग केवल ग्रीन पटाखे इस्तेमाल करें, तो प्रदूषण में बड़ी कमी लाई जा सकती है। इसीलिए कहा जाता है — “Green patake जलाइए, पर्यावरण बचाइए और दिवाली मनाइए खुशियों के साथ!”