उत्तराखंड में बीते दिनों बादल फटने की घटनाओं ने बड़े पैमाने पर तबाही मचा दी है। सबसे गंभीर हादसा उत्तरकाशी ज़िले के धराली गांव में हुआ, जहां अचानक खीर गंगा नदी उफान पर आ गई और आसपास के बाज़ार, होटल, होमस्टे व दुकानों को अपने साथ बहा ले गई। इस भीषण आपदा में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दर्जनों लोग घायल और लापता बताए जा रहे हैं।
तेज बारिश और बादल फटने से आई बाढ़ व मलबे ने स्थानीय लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई घर पूरी तरह तबाह हो गए, सड़कें कट गईं और वाहनों के बह जाने की भी खबरें सामने आईं। प्रभावित इलाकों में संचार और बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यमुनोत्री मार्ग के सिलाई बैंड इलाके में अधूरे होटल के निर्माण स्थल पर भी बादल फटने के कारण भूस्खलन हुआ। इसमें नौ मजदूरों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। हेलीकॉप्टर की मदद से भी राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
चमोली जिले में भी बादल फटने से कई गांव प्रभावित हुए हैं। थराली तहसील में कई घर बह गए, एसडीएम आवास समेत कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और कुछ लोग लापता हैं। पहाड़ी नदियों के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी के चलते आसपास के गांवों को अलर्ट पर रखा गया है। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इन घटनाओं के पीछे केवल बादल फटना ही नहीं बल्कि ग्लेशियर झील फटने (Glacial Lake Outburst Flood) की आशंका भी हो सकती है। फिलहाल प्रशासन स्थिति पर नज़र बनाए हुए है और लगातार बचाव कार्य चला रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हो रही इन घटनाओं ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण असंतुलन के खतरों की ओर ध्यान खींचा है।